दिल्ली बाजार/ आयातित तेल महंगा पड़ने से सोयाबीन डीगम, सहित सभी तेलों में तेजी

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नयी दिल्ली। भारत में पामतेल का आयात शुल्क कम किये जाने के बाद इंडोनेशिया में इस पर इस पर निर्यात शुल्क में वृद्धि से सभी जगह सीपीओ के भाव चढ़ गये है। इस तेजी का असर बाकी तेल तिलहन कीमतों पर होने से स्थानीय तेल तिलहन बाजार में पाम तेल, सोयाबीन, सरसों तेल, बिनौला सहित सभी तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने कच्चे पॉम तेल पर आयात शुल्क में 10 प्रतिशत कटौती की लेकिन भाव कम होने के बजाय बढ़ गये हैं।

इसकी वजह है कि निर्यातक देशों ने भारत जैसे प्रमुख आयात देशे में शुल्क घटने के साथ ही इस पर निर्यात शुल्क और लेवी बढ़ा दिया। परिणामस्वरूप आयातकों, तेल उद्योग, उपभोक्ताओं और किसानों को कोई लाभ नहीं हुआ। इंडोनेशिया में निर्यात शुल्क बढ़ाने का असर बाकी तेलों पर भी दिखा जिससे उनकी कीमतों में सुधार है। उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार में भाव टूटने से आयातकों को लगभग आठ प्रतिशत का नुकसान है।

सूत्रों ने कहा कि जयपुर की मंडी में सरसों का हाजिर भाव लगभग 6,135 रुपये क्विन्टल है जबकि वायदा कारोबार में इसका भाव लगभग 5,800 रुपये चल रहा है। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्था- हाफेड और नाफेड संभवत: वायदा कारोबार के भाव को देखकर ही बिक्री करती है और बड़े सटोरिये इन संस्थाओं का माल हड़पने के लिए वायदा कारोबार में जानबूझकर भाव तोड़ती हैं।

सूत्रों ने कहा कि हाफेड और नाफेड को सरसों की बिक्री बिल्कुल रोक देनी चाहिये क्योंकि वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की कीमतों में सुधार को देखते हुए देश में दिसंबर, जनवरी और फरवरी महीने के दौरान कुल लगभग 20 लाख टन सरसों की मांग होगी और सहकारी संस्थाओं के पास लगभग डेढ़ दो लाख टन का ही स्टॉक रह गया है। मौसम सामान्य रहा है तो सरसों की अगली पूरी फसल मंडी तक 15 मार्च के बाद आयेगी और ऐसे में सरसों के स्टॉक को बचा कर रखने की जरुरत है।

हल्के तेलों के महंगा होने से बिनौला की मांग बढ़ गई जिससे इसकी कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि अर्जेन्टीना में शुक्रवार से सोयाबीन डीगम का मूल्य 30 डॉलर प्रति टन बढ़ गया है, इससे देश के बाजारों में 225 रुपये प्रति क्विन्टल की वृद्धि हुई है। इससे सोयाबीन के बाकी तेलों के भाव में भी सुधार आया। उन्होंने कहा कि विदेशों से आयात करने पर देश में मौजूदा आयात शुल्क लगाकर आयात का खर्च सीपीओ के लिए 94 रुपये किलो और सोयाबीन डीगम के लिए 110 रुपये किलो बैठता है।

जबकि बाजार में सीपीओ का भाव 90 रुपये किलो और सोयाबीन डीगम का भाव 103.70 रुपये किलो आता है। तेल उद्योग के सूत्रों के अनुसार भारत का सोयाबीन तेल-वायदा बाजार में फरवरी और मार्च के खड़े सौदे क्रमश: 1950 और 85 टन के है और इसके भाव विदेशों से आठ प्रतिशत नीचे है। शिकागो वायदा बाजार में जनवरी और मार्च के खड़े सौदे 72 लाख के हैं। ऐसे स्थानीय वायदा बाजार मूल्य खोज के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है।

सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन उद्योग की आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी है कि वायदा कारोबार में धांधली करने वालों पर लगाम कसी जाये। तेल-तिलहन बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल) सरसों तिलहन – 6,225 – 6,275 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये। मूंगफली दाना – 5,385- 5,435 रुपये। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,500 रुपये। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,100 – 2,160 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 12,350 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,885 – 2,035 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,005 – 2,115 रुपये प्रति टिन।

तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 – 15,000 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,600 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,300 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम- 10,370 रुपये। सीपीओ एक्स-कांडला- 9,000 रुपये। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,100 रुपये। पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 10,500 रुपये। पामोलीन कांडला- 9,600 रुपये (बिना जीएसटी के)। सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,550 – 4,600 लूज में 4,385 — 4,415 रुपये। मक्का खल (सरिस्का) – 3,500 रुपये प्रति क्विंटल ।