मुंबई। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत केस में ड्रग्स की एंट्री हो गई है। इससे जुड़े चैट के स्क्रीनशॉट वायरल हो रहे हैं। चैट में रिया चक्रवर्ती गौरव नाम के एक शख्स से जिस ड्रग के बारे में बात कर रही हैं, उसका नाम MDMA है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, यह सायकोट्रॉपिक ड्रग है। इसे देने के बाद सबसे पहले इंसान काफी खुश महसूस करता है और फिर धीरे-धीरे दिमाग से उसका कंट्रोल खोने लगता है। वह हेलुसिनेशन का शिकार हो जाता है। इसका असर ड्रग लेने के 30-45 मिनट बाद शुरू होता है और 3 से 6 घंटे तक रहता है। असर शुरू होते ही इंसान काफी एनर्जिटिक महसूस करने लगता है।
क्या है MDMA ड्रग?
वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (एशिया पैसेफिक) के डायरेक्टर सुनील मित्तल के मुताबिक, MDMA (3, 4-मेथेलीन डाई-ऑक्सी मेथाम्फेटामाइन) को स्टीमुलेंट की कैटेगरी में रखा गया है। यह शरीर के मेटाबॉलिज्म और दिमाग से रिलीज होने हार्मोन और केमिकल को बढ़ाता है।
ड्रग लेने के बाद शरीर पर क्या असर दिखता है?
सुनील मित्तल के मुताबिक, सायकोएक्टिव कम्पाउंड होने के कारण यह ड्रग लेने के बाद इंसान खुद को एनर्जी से भरा हुआ महसूस करता है। उसकी सोच बदलने लगती है। वह बहुत ज्यादा खुश नजर आता है और अधिक बातें करने लगता है। इसका इस्तेमाल करने वाले इंसान को थकावट नहीं महसूस होती।
दिल्ली की सेंट्रल फॉरेंसिंक साइंस लैबोरेट्री की विशेषज्ञ रहीं मधुलिका शर्मा कहती हैं, यह ड्रग सीधे तौर पर दिमाग पर असर करता है। ड्रग का असर होने पर इंसान कन्फ्यूज हो जाता है, उसके सोचने की क्षमता नहीं रह जाती। हाथ कांपते हैं।
इसका असर खत्म होने के बाद क्या होता है?
मधुलिका शर्मा कहती हैं, ड्रग का असर खत्म होने के बाद नर्वस सिस्टम सुस्त हो जाता है, इंसान का इस पर कंट्रोल नहीं रहता। अगर सुशांत के मामले में इस ड्रग का नाम आया है तो उसकी बॉडी की दोबारा जांच होनी चाहिए। इससे यह साफ हो सकेगा कि यह ड्रग उसके शरीर में था या नहीं। हालांकि विसरा रिपोर्ट कहती है कि शरीर में कोई ड्रग नहीं था। लेकिन एक बार फिर इसकी जांच होती है तो बेहतर होगा। दोबारा जांच के बाद रिपोर्ट निगेटिव आती है तो इस ड्रग पर चर्चा खत्म होगी।
दिमाग पर कंट्रोल क्यों खत्म होने लगता है?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज के मुताबिक, ज्यादातर लोग इसे टैबलेट या कैप्सूल के रूप में लेते हैं। इसे मॉली के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरह के हार्मोन की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे धीरे-धीरे दिमाग से कंट्रोल खोने लगता है-
इसे लेने पर इंसान इसका आदी (एडिक्शन) हो जाता है?
MDMA ड्रग लेने पर इंसान इसका कितना आदी होगा, यह इंसान और इसकी मात्रा पर निर्भर करता है। लोग लम्बे समय तक इसे लेने पर आदी हो जाते हैं क्योंकि इसके असर के कारण उन्हें थकान नहीं महसूस होती, भूख नहीं लगती, डिप्रेशन का अहसास नहीं होता। ये आम वजह हैं जिसके कारण इंसान इसे बार-बार लेता है।
शरीर पर क्या असर हो सकता है?
इस ड्रग की हाईडोज लेने पर शरीर की तापमान कंट्रोल करने की क्षमता पर असर पड़ता है। शरीर का तापमान अधिक बढ़ने पर लिवर, किडनी और हार्ट फैल्योर हो सकता है। या मौत भी हो सकती है।
ड्रग का आदी हो जाता है तो इलाज क्या है?
सीधेतौर पर इसका कोई इलाज नहीं है। ऐसे लोगों को बिहेवियरल थैरेपी दी जाती हैं, जिससे धीरे-धीरे ड्रग की आदत से पीछा छुड़ाया जाता है। ड्रग के एडिक्शन का पूरी तरह से कैसे इलाज किया जाए, इस पर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।