नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा में अब त्रिभाषा फॉर्मूला चलेगा। इसमें संस्कृत के साथ तीन अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा। इलेक्टिव में ही विदेशी भाषा चुनने की भी आजादी होगी। पहली बार भारतीय भाषाओं को तवज्जो देने के साथ उनको सहेजने और बीमार व लुप्त होती भाषाओं को संजीवनी देने पर जोर दिया गया है। इस काम में तकनीक की मदद ली जाएगा।
गूगल ऑनलाइन भारतीय भाषाओं का प्लेटफार्म उपलब्ध करवाएगा। भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग और मेडिकल पढ़ाई भी की जा सकेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्री-प्राइमरी से लेकर 5वीं कक्षा तक छात्रों को मातृभाषा से जोड़ा जायेगा। मातृभाषा में पढ़ाई का मकसद बच्चे को उसके प्रदेश की संस्कृति, खानपान, रहन-सहन, परंपराओं से जोड़ना है।
इससे भावी पीढ़ी को भारत और भारतीयता से जोड़ा जा सकेगा। सरकार की योजना है कि स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक भारतीय भाषाओं को शामिल किया जाए। इसमें इंजीनियरिंग और मेडिकल पढ़ाई भी शामिल है। इनकी किताबों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद शुरू हो रहा है। प्लेटफार्म पर भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन कोर्स भी होंगे।
संस्कृत को मिलेगा नया जीवन
स्कूली शिक्षा में अंकों में बढ़ोतरी के लिए छात्र संस्कृत को इलेक्टिव सब्जेक्ट के रूप में पढ़ते हैं। हालांकि संस्कृत की जानकारी महज परीक्षा तक सीमित रहती है। संस्कृत सिर्फ अंक बढ़ाने का विकल्प है। अब संस्कृत पढ़ाने पर सरकार आर्थिक सहायता देगी।
भारतीय भाषाओं को नया जीवन देने में गूगल साझेदारी निभाएगा। पिछले दिनों गूगल ने भारत के साथ भाषाओं और ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने पर काम करने की घोषणा की है। इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं। विभिन्न भाषाओं में अनुवाद के सॉफ्टवेयर भी बनाए जा रहे हैं।