कोटा। केन्द्र सरकार ने अगले साल के जनवरी माह से सोने के आभूषण पर हॉलमार्क अनिवार्यता को जून माह तक स्थगित कर दिया है। जिससे सर्राफा व्यापारियों ने राहत की सांस ली है। परन्तु उनकी प्रमुख मांग 20 कैरेट पर भी हॉलमार्क लगाने की स्वीकृति को अभी तक स्वीकार नहीं किया है। इससे सर्राफा व्यापारियों में रोष निराशा और व्याप्त है।
श्री सर्राफा बोर्ड के अध्यक्ष सुरेन्द्र गोयल विचित्र ने कहा कि 15 जनवरी 2021 से सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क अनिवार्य किया गया था। परंतु कोरोना महामारी के कारण पिछले दो माह तक सीज़न के समय लॉक डाउन के चलते व्यापार बंद रहा। जिस वजह से सभी दुकानदारों के माल अटक गया है, जो अब आगामी छह महीने तक विक्रय होना मुश्किल है।
विचित्र ने बताया कि ऐसी विषम परिस्थितियों में किसी भी दुकानदार के लिए हॉलमार्किंग ज्वैलरी का स्टॉक करना नामुमकिन था इसलिए सरकार को इसकी अनिवार्यता को एक साल आगे बढ़ाना चाहिए था परन्तु सरकार ने पांच महीने की राहत प्रदान की है। उन्होंने बताया कि पिछले दो साल से हम 20 कैरेट सोने की ज्वैलरी पर भी हॉलमार्क लगाने की स्वीकृति मांग रहे हैं क्योंकि अभी सरकार ने लंदन बेस्ड 14 (58.3%), 18 (75%) और 22 (91.6%) कैरेट पर हॉलमार्क लगाने की स्वीकृति प्रदान की है। जब कि उत्तर भारत में 20 (83.3%) कैरेट की ज्वैलरी चलायमान है।
विचित्र ने कहा कि 14,18 कैरेट में डायमंड ज्वेलरी बनती है। 22 कैरेट सोने की ज्वैलरी मुलायम बनती है। इस वजह से टूट फूट की संभावना रहती है। साथ ही वजन में भारी होती है, जिससे ग्राहक का बजट डगमगा जाता है। इसके अलावा अत्याधिक लेबर चार्ज से ग्राहकों को नुक़सान होता है। उन्होंने कहा कि हमारे उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में 20 कैरेट ज्वैलरी का ही प्रचलन है। यह ग्राहकों के बजट में आ जाती है। इसे हॉलमार्क की मान्यता नहीं देने से सर्राफा व्यापार का अस्तित्व ख़तरे में पड़ सकता है। (देखिए वीडियो)
उन्होंने बताया कि छोटे से लेकर बड़े आइटम तक में हॉलमार्क लगाना होगा। परंतु राजस्थान के नब्बे प्रतिशत इलाकों में हॉलमार्क सेंटर नहीं है। इनकीस्थापना में ही अभी बहुत वक्त लग सकता है। विचित्र ने बताया कि इस संबंध में हम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को दो मर्तबा ज्ञापन दे चुके हैं। उन्होंने इस कार्य को करवाने का आश्वासन दिया हुआ है।