नई दिल्ली। इनकम टैक्स विभाग ने टीडीएस फॉर्म को व्यापक बनाने के लिए इसमें कुछ बदलाव किए हैं। इनमें टैक्स की कटौती नहीं करने के कारणों की जानकारी देने को अनिवार्य किया गया है। बैंकों को नए फॉर्म में एक करोड़ रुपए से अधिक की नकदी निकासी पर ‘स्रोत पर की गई कर की कटौती’ (टीडीएस) की जानकारी भी देनी होगी।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, ई-कॉमर्स ऑपरेटरों, म्यूचुअल फंड और कारोबारी ट्रस्टों की ओर से लाभांश वितरण, नकदी निकासी, प्रोफेशनल्स फीस शुल्क और ब्याज पर टीडीएस लगाने के लिए इनकम टैक्स नियमों में बदलाव किया है।
फॉर्म 26 क्यू और 27 क्यू में भी बदलाव
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर शैलेश कुमार का कहना है कि सरकार ने इस अधिसूचना के साथ फॉर्म 26 क्यू और 27 क्यू के प्रारूप में भी संशोधन किया गया है। फॉर्म 26 क्यू का उपयोग भारत में सरकार या कंपनियों की ओर से कर्मचारियों (भारतीय नागरिक) को वेतन के अलावा किए गए किसी भी अन्य भुगतान पर टीडीएस कटौती का तिमाही के आधार पर जानकारी देने में होता है। इसी तरह फॉर्म 27 क्यू का उपयोग अनिवासी भारतीयों को वेतन के अलावा किसी अन्य भुगतान पर टीडीएस कटौती और उसे जमा कराए जाने की जानकारी देने में होता है।
टीडीएस नहीं काटने के कारण भी बताना होगा
शैलेष कुमार का कहना है कि नए फॉर्म अधिक व्यापक हैं और भुगतान करने वालों को न केवल उन मामलों की सूचना देने की आवश्यकता होगी, जिनमें टीडीएस काटा जाता है, बल्कि जिन मामलों में टीडीएस नहीं काटा गया है, अब उनकी भी सूचना देनी होगी। नए फॉर्म में टीडीएस नहीं काटने के कारणों की भी जानकारी देनी होगी। आपको बता दें कि सरकार ने नकदी में लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए 2019-20 के बजट एक वित्तीय वर्ष में एक बैंक खाते से एक करोड़ रुपए से अधिक की नकद निकासी पर दो फीसदी का टीडीएस लगाया था।