नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को कम कर दिया है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत की ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 1.9 फीसद कर दिया है। इससे पहले जनवरी में आईएमएफ ने यह अनुमान 5.8 फीसद बताया था। आईएमएफ ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन वैश्विक अर्थव्यवस्था को साल 1930 के बाद की सबसे बुरी मंदी में धकेल देगा।
कोरोना वायरस महामारी ऐसे समय में आई है, जब भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्त चल रही है। कोरोना वायरस प्रकोप से डिमांड और सप्लाई बाधित रहने के कारण आर्थिक गतिविधियों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा। आईएमएफ का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020 के लिए भारत की ग्रोथ रेट 4.2 फीसद रहेगी, जबकि सांख्यिकीय विभाग ने इसके लिए अपना अनुमान 5 फीसद बताया है।
एक आधारभूत परिदृश्य की मानें, तो साल 2020 की दूसरी छमाही में महामारी फीकी पड़ती दिखाई देगी। आइएमएफ ने अपने द्वि-वार्षिक विश्व आर्थिक आउटलुक में अनुमान लगाया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था साल 2020 में तीन फीसद की दर से सिकुड़ेगी। यह साल 2008-09 के वित्तीय संकट से कहीं अधिक बुरा है। भारत के लिए आइएमएफ ने वित्त वर्ष 2022 में 7.4 फीसद का तीव्र आर्थिक सुधार का अनुमान लगाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की है। पीएम ने राज्यों को 20 अप्रैल तक लॉकडाउन को अधिक सख्ती से लागू करने की बात कही और उसके बाद कोरोना वायरस से कम खतरे वाली चयनित जगहों पर लॉकडाउन से सशर्त रियायत देने की बात कही। हालांकि, उद्योगों को आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू होने की उम्मीद थी।
अब यह इस बात पर निर्भर करेगा कि राज्य सरकारें महामारी के हॉटस्पॉट्स को सीमित करने में कितने सफल होते हैं। इस बीच वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता प्रतीत हो रहा है। दुनिया भर में कोविड-19 के मामले 20 लाख को पार कर गए हैं और 1.2 लाख लोगों की मौत हो गई है।