नई दिल्ली। चीन पर खरीब क्वॉलिटी के मास्क बनाने का आरोप लग रहा है। दरअसल यूरोपियन बॉडी ने खराब क्वॉलिटी चीनी मास्क और अप्रभावी टेस्ट के लेकर शिकायत की।मास्क आयात के साथ ही चीन ने घरेलू स्तर पर मास्क और अन्य प्रोटेक्टिव उपकरणों की मैन्यूफैक्चरिंग में छूट दी। इस तरह बचाव के इन उपायों को अपनाकर चीन ने कोरोना पर काफी हद तक काबू पा लिया।
इसके बाद चीन के वॉणिज्य मंत्रालय ने भरोसा दिया कि वो मास्क को तय स्टैंडर्ड के मताबिक बनाएंगे। चीन की ओर से अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को मास्क की सप्लाई की जा रही है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया कि अगले एक हफ्ते में वो 22 फ्लाइच के जरिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट को एयरलिफ्ट करेंगे। अमेरिका ने कहा कि अगले 72 घंटों में प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की कमी से जूझ रहे अस्पतालों में इनकी दोबारा सप्लाई की जाएगी।
बता दें कि फ्रांस के पास मास्क का एक बड़ा स्टॉक है, जिसे उसने चीन से खरीदा है। दुनिया के ज्यादातर देशों में मिल रही डिमांड के चलते मास्क की कीमतों में इजाफा देखा जा रहा है। मेडिकल वर्कर को प्रोटेक्ट करने वाले एक खास तरह के मास्क N95 और प्रोटेक्टेड इक्विपमेंट की थोक कीमत पांच गुना तक बढ़ गई। साथ ही ट्रांस पैसिफिक एयरफ्रेट चार्ज तीन गुना हो गए है।
मास्क और जरूरी चीजों को लेकर चीन कर रहा सौदेबाजी
चीन के एक मैकेनिकल इक्पिमेंट सप्लायर हेनन डोरिआ के मुताबिक वो बड़े तादाद में ग्लोबल मार्केट में मास्क बेचने के लिए तैयार हैं। उसकी तरफ से 15 दिनों में करीब 2 मिलियन एन95 मास्क भेजने की बात कही गई है। हालांकि हवाई उड़ान पर रोक के चलते मास्क को देश से बाहर भेजने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में चीन की तरफ से कहा गया है कि अगर अमेरिका को लार्ज स्केल में पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट चाहिए, तो उसे अमेरिकी कॉर्गो विमान उपलब्ध कराने होंगे।