कई उदाहरण हैं जो सुगम पोर्टल की पोल खोलते हैं कि कैसे अधिकारी और कर्मचारी कागजों में ही समस्या का समाधान कर रहे हैं।
कोटा। राजस्थान में सरकारी विभागों में आम आदमी की शिकायतों की सुनवाई नहीं होने पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने सुगम पोर्टल की व्यवस्था की, ताकि उच्च अधिकारी समस्याओं को गंभीरता से लें और समाधान करवाएं। खुद सीएम इसकी मॉनिटरिंग करती हैं। इसके बावजूद आम लोगों की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
सुगम पोर्टल पर की गई शिकायतों में अधिकांश का जवाब मिलता है कि समस्या का समाधान कर दिया गया है, जबकि हकीकत में समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। समस्या वहीं की वहीं है, लेकिन पोर्टल पर उसका निराकरण बताकर रिकॉर्ड सुधारा जा रहा है।
ऐसे कई उदाहरण हैं जो सुगम पोर्टल की पोल खोलते हैं कि कैसे अधिकारी और कर्मचारी कागजों में ही समस्या का समाधान कर रहे हैं। वल्लभबाड़ी सेवन वंडर रोड पर ईंट बेचने वालों ने सड़क किनारे अतिक्रमण कर रखा है। जगह-जगह ईंटों के ढेर लग रहे हैं।
सड़क पर ही वाहन खड़े रहते हैं और ईंटों का लदान होता रहता है। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी होती है। वहीं रहने वाले घनश्याम रघुवंशी ने इसकी शिकायत 1 वर्ष पूर्व सुगम पोर्टल पर की थी। उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सीएम को शिकायत की।
सीएमओ से कार्रवाई के लिए कलेक्टर के यहां शिकायत आई। इसके बाद एक पटवारी आया और मौके पर शिकायतकर्ता को बुलाकर अतिक्रमियों से रूबरू करवा दिया। उसका असर ये रहा कि अतिक्रमण तो हटे नहीं, अतिक्रमी रघुवंशी से झगड़ा करने लगे।
पोर्टल से जवाब आया कि शिकायत का समाधान हो गया। उसके बाद से अब तक 4 बार शिकायत कर दी। चौथी शिकायत का शनिवार को ही जवाब आया समस्या दूर कर दी। जबकि, रविवार को भी वहां ईंट की दुकानें लगी थीं।
लापरवाही
1 समस्या वहीं, शिकायतकर्ता काट रहा चक्कर
चंद्रेसल में बीएसएनएल टावर के पास नाले पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया। इसकी शिकायत परमेंद्र नागर ने 16 जुलाई 2016 को सुगम पोर्टल पर दी थी। वहां से जवाब आया कि ये कृषि भूमि रूपांतरित क्षेत्र नहीं है।
फिर शिकायत की तो जवाब आया कि अभी बजट नहीं है, बजट आते ही कार्रवाई की जाएगी। तीसरी बार शिकायत की तो जवाब मिला समस्या का समाधान कर दिया गया है। शिकायतकर्ता नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई जवाब तक नहीं दे रहा।
2 नोटशीट जारी कर दी कि समस्या दूर हो गई
वल्लभबाड़ी में मकान नंबर 162 से लेकर 176 तक के पीछे से निकल रहे नाले की सफाई लंबे समय से नहीं हुई। इस नाले पर अतिक्रमण भी हो रहा है। नाले का पानी घरों में भर रहा है। इसकी शिकायत डॉ. संजय भार्गव ने सुगम पोर्टल पर 1 जून 2016 को दी थी। कोई कार्रवाई नहीं होने पर 2 जुलाई को फिर रिमाइंडर डाला।
इसके बाद 7 जुलाई को नगर निगम की तरफ से जवाब मिला कि समाधान कर दिया गया है, जबकि हकीकत में समस्या वहीं है। निगम पहुंचे तो कर्मचारियों ने नोटशीट की फोटो कॉपी दे दी कि ये देखो कार्रवाई हो गई।