मेरठ। निर्भया मामले के चारों दोषियोें को शुक्रवार सुबह 5:30 बजे फांसी दी गई। फांसी घर में किसी को बोलने की अनुमति नहीं होती इसलिए केवल इशारों से काम होता रहा। दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद ने एक विशेष मुलाकात में कहा, ‘‘मैंने अपना धर्म निभाया है। यह हमारा पुश्तैनी काम है। मरने से पहले उन दरिंदों को पश्चाताप होना चाहिए था, लेकिन नहीं था।’’
जल्लाद ने बताया, ‘‘मैं 17 मार्च को तिहाड़ आया और फांसी के फंदों को दही और मक्खन पिलाकर मुलायम करके डमी ट्रायल करता रहा। गुरुवार सुबह चार बजे फंदों को दुरुस्त किया। दोषियों के हाथ बांधकर फंदे तक लाया गया। पहले अक्षय और मुकेश को, फिर पवन और विनय को तख्ते पर ले जाया गया। हर गुनाहगार के साथ पांच बंदीरक्षक थे, जिन्होंने इन्हें तख्ते पर खड़ा कियाा। चारों के फंदे दो लीवर से जोड़े गए थे। फंदों को गलों में टाइट करके संतुष्टि की गई और जेल अफसर के इशारे पर लीवर खींचे गए।
दोषी ने आत्महत्या की कोशिश की
फांसी लगने से 12 घंटे पहले निर्भया के दरिंदों में से एक पवन गुप्ता ने आत्महत्या की कोशिश की थी। पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट में पता चला है कि उसने ब्लेड जैसे किसी धारदार हथियार से अपने बाएं हाथ की नसों को चार से पांच जगह काटा था। इसमें से दो-तीन निशान बहुत गहरे हैं और घाव देखकर बहुत ज्यादा खून बहने का अनुमान है। डॉक्टरों के मुताबिक, उसके सिर के दोनों ओर भी धारदार हथियार से हुए घाव मिले हैं।
मुकेश ने पेटभर खाया था, पेट से चाउमिन निकली
पोस्टमार्टम में पता चला कि मुकेश का पेट भरा हुआ था। गुरुवार रात चाउमिन और कुछ दूसरी चीजें उसने खाईं थी। बाकी तीनों कैदियों के पेट खाली थे। फांसी पर जाते समय वह शांत नजर आया।
विनय रात भर गिड़गिड़ाता रहा, कपड़े भी नहीं बदले
विनय गुरुवार को लगातार गिड़गिड़ाता रहा। वो रात भर राेया। कह रहा था मुझे मरना नहीं है। फांसी से पहले उसने कपड़े बदलने से भी इनकार कर दिया। उसने कहा-मेरा कुछ सामान है, जो घर भिजवा देना।
अक्षय: खिचड़ी खाई और रातभर जागता रहा
अक्षय भी रातभर सो नहीं सका। वह रात भर सेल में घूमता रहा। वह जेल कर्मचारियों से बार-बार पूछ रहा था कि सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश आया क्या?