कोटा। धन के साथ पवित्रता होनी चहिए, सम्पन्नता आने के बाद आस्था भी बढनी चाहिए, समृद्धि के साथ आध्यात्मिकता का भी होना जरूरी है। यह बात श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर तलवंडी में आयोजित अष्टान्हिका पर्व पर आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने शनिवार को प्रवचन करते हुए कही।
इससे पहले तरूण भैया के द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ सामूहिक शांतिधारा, मंगलाष्टक, दिग्बंध, अभिषेक व नित्यपूजा कराई गई। श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व कल्याण कामना महायज्ञ के छठे दिन 256 अध्र्य अर्पित किए गए। शाम को पुण्यार्जक परिवार तथा तलवंडी जैन समाज के द्वारा गाजे बाजे के साथ आकर महाआरती की गई।
सीए फाउण्डेशन के सचिव सीए दिनेश जैन के द्वारा आचार्य ज्ञानसागर महाराज का पाद प्रक्षालन किया गया। पुण्यार्जक पांड्या परिवार ने शास्त्र भेंट किया। इस दौरान मुनिसंघ के जयकारे गूंजते रहे। भक्तगण णमोकार महामंत्र का जाप, भक्तामर स्तोत्र का पाठ और भजन संध्या पर झूमते रहे। तरूण भैया ने भजनों और मंत्रों पर श्रद्धालु दोनों हाथ उठाकर मुनिसंघ के जयकारे लगाने लगे। भक्तगण संगीत के साथ झूमते रहे।
ज्ञानसागर महाराज ने कहा कि पूजन और आस्था के बाद भी व्यक्ति मोह माया में फंसा रहता है। कषाय आत्मा का भी अहित करते हैं। जब दही को मथकर घी निकाला जाता था तो उस घी को खाने से कोई बीमारी नहीं होती थी। लेकिन, आज चिकित्सक कह रहे हैं कि घी बंद कर दो। एक वस्तु को अलग अलग दृष्टिकोण से देखने पर ही भ्रम दूर हो सकता है। धर्म जीवन को जीने की कला सिखाता है। जीवन को गुलाब के फूल की तरह महकाए तो धर्म है।
सीए आर्थिक हिसाब रखने के साथ धर्म का भी रखें
दोपहर को जैन् समिति भवन विज्ञान नगर पर सीए कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने कहा कि सीए आर्थिक हिसाब रखने के साथ ही धर्म का भी हिसाब किताब रखना चाहिए। स्वयं की जीवनचर्या को चलाने के लिए सीए बनेंगे लेकिन जैन दर्शन के मूलभूत सिद्धान्तों को भी ध्यान रखना होगा। सभी सीए को देश और समाज के लिए कार्य करने की शपथ लेनी होगी। उन्होंने कहा कि सीए समाज में बदलाव के वाहक बनें। इस दौरान सीए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र छात्राओं का सम्मान किया गया।