कपड़े पर जीएसटी नहीं घटेगा, वित्त मंत्री जेटली ने कहा

0
1744

जीएसटी में कितना है टैक्स  
यार्न  : पॉलिएस्टरजैसे कृत्रिम यार्न पर 18% टैक्स है। कॉटन, वूल, सिल्क जैसे प्राकृतिक धागे पर 5% टैक्स। फैब्रिक: कॉटन,वूलन और सिंथेटिक सभी कपड़े पर 5 फीसदी टैक्स है। रेडीमेड गारमेंट : कीमत1,000 रु तक है तो टैक्स 5% होगा। 1,000 रु से ज्यादा है तो 12% लगेगा।

नई दिल्ली। कपड़े पर टैक्स घटाने से सरकार ने साफ इनकार कर दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा, फैब्रिक पर जीएसटी रेट 0% करने से घरेलू इंडस्ट्री को इनपुट क्रेडिट नहीं मिल पाएगा। देश में बने कपड़ों की तुलना में इंपोर्टेड कपड़े सस्ते पड़ेंगे। फैब्रिक पर अभी 5% जीएसटी है। गुजरात, खासकर सूरत के टेक्सटाइल कारोबारी इसका विरोध कर रहे हैं।

इंडस्ट्री का दावा है कि टैक्स से फैब्रिक 10-12% महंगे हो जाएंगे। इससे भारतीय कपड़ों का निर्यात मुश्किल हो जाएगा। पर जेटली ने कहा कि जीएसटी में रेट या तो पुराने स्तर पर हैं या कम हुए हैं। इसलिए फैब्रिक की कीमत बढ़नी नहीं चाहिए। उन्होंने इस दावे को गलत बताया कि जीएसटी से पहले स्वतंत्र भारत में कभी टेक्सटाइल पर टैक्स नहीं लगा था।

उन्होंने कहा कि 2003-04 में इस सेक्टर पर एक्साइज ड्यूटी लगती थी। जेटली ने कहा कि जीएसटी से टेक्सटाइल सेक्टर के संगठित ट्रेडर और असंगठित विक्रेताओं पर असर नहीं हुआ है। एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि कीटनाशकों पर पहले 12.5% एक्साइज और औसतन 4% वैट था। 

इंपोर्टेड कपड़ा ‘जीरो रेटिंग’ कैटेगरी में जाएगा
जेटली ने कहा कि टेक्सटाइल कारोबारी फैब्रिक पर टैक्स नहीं चाहते। लेकिन 0% टैक्स स गारमेंट बनाने वालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाएगा। बिना क्रेडिट के लागत बढ़ेगी, जिसका असर कीमत पर होगा। शून्य टैक्स का मतलब है कि इंपोर्टेड कपड़ा ‘जीरो रेटिंग’ कैटेगरी में जाएगा, जबकि घरेलू इनपुट टैक्स का बोझ होगा।

प्रदेश में कपड़ा कारोबार को 1,000 करोड़ का नुकसान
जयपुर | वित्तमं त्री जेटली के साफ तौर पर कपड़े पर टैक्स हटाने से इनकार करने के बाद सूरत में व्यापारियों ने मंगलवार को अपनी हड़ताल खत्म कर दी है वहीं राजस्थान में भी अब कारोबारियों ने कामकाज फिर से शुरू कर दिया है। विभिन्न व्यापारिक संगठनों के अनुमान के अनुसार प्रदेश में एक जुलाई से लेकर अब तक कपड़ा कारोबार को लगभग 1,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।