नई दिल्ली। केंद्र सरकार निर्भया मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के ताजा आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आज निर्भया के दोषियों को बाकी बचे सभी कानूनी उपचारों के इस्तेमाल के लिए 7 दिन की मोहलत दे दी। इसके खिलाफ केंद्र सरकार के साथ-साथ उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) फाइल की है। हालांकि, याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार की दलीलों की जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी पर लगाई थी रोक
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने की मांग की गई थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने 31 दिसंबर को निर्भया के दोषियों के लिए जारी दूसरे डेथ वॉरंट को टालते हुए अगले आदेश तक फांसी दिए जाने पर रोक लगा दी थी।
ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अर्जी HC से खारिज
केंद्र ने ट्रायल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हाई कोर्ट ने भी आज निर्भया के दोषियों को बाकी बचे कानूनी उपचारों को 7 दिन के अंदर आजमा लेने का आदेश दिया और कहा कि चारों दोषियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को एक साथ ही फांसी दी जाएगी, न कि अलग-अलग।
जबकि केंद्र सरकार की यही दलील थी कि चूंकि मुकेश के सारे कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं, इसलिए उसे अकेले फांसी पर चढ़ाया जा सकता है। इसी तरह आगे भी एक-एक कर दोषियों को फांसी दी जा सकती है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी दिल्ली हाई कोर्ट से कहा था वह किसी भी आदेश को लागू करने को तैयार है। यानी, अगर उसे किसी दोषी को तुरंत फांसी पर लटकाने का आदेश मिले तो भी पूरी तैयारी है।