पालकी में सवार होकर नव परिसर में पधारे मथुराधीश प्रभु

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कोटा। बड़े मथुराधीश मंदिर कोटा पुष्टिमार्गीय प्रथम पीठ पर शनिवार से दो दिवसीय उपनयन संस्कार वर्ष पूर्णोत्सव प्रारंभ हुआ। श्रीकृष्णास्य लालन बावा के उपनयन संस्कार को एक वर्ष पूर्ण होने पर शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ पर दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस दौरान वैदिक रीति से परंपरागत प्रभु का उत्सव प्रारंभ हुआ। पहले दिन प्रभु के मंदिर की ध्वजा बदलकर जरी की ध्वजा फहराई गई। इसके बाद दिन में पालकी में विराजकर मथुराधीश प्रभु नवीन परिसर में पधारे।

जहां शाम को प्रभु का कुण्डवारा मनोरथ का दर्शन करने के लिए वैष्णवजन उमड़ पड़े। भक्तों ने शाम से ही पाटनपोल आना प्रारंभ कर दिया था। जिसके कारण से बाहर लम्बी लाइनें लग गईं। इस दौरान जिला कलैक्टर ओम कसेरा मुख्य अतिथि थे।

ठाकुरजी के कुण्डवारा मनोरथ के दर्शन करते हुए भाव विभोर भक्त जयकारों से आसमान गुंजायमान कर रहे थे। वहीं प्रथम पीठाधीश्वर विठ्ठलनाथ लालमणि महाराज, प्रथमेशात्मज गोस्वामी मिलन कुमार बावा तथा कृष्णास्य बावा ठाकुर जी के चंवर ढुला रहे थे। कहीं कहीं पर भक्त बैण्डबाजे के साथ नृत्य करने लगे। इस अवसर पर लोक कलाकार शिखा और कपिल के द्वारा शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

वहीं, लोक कलाकारों के द्वारा पारंपरिक वाद्य यंत्रों ढोल, झांझ, मंजीरे, मृदंग पर सुंदर कीर्तनों की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने ठाकुर जी की सगाई के गीत ‘‘मैया मोहे ऐसी दुल्हनिया भावै… ऐ री सखी मंगल गाओ री… धरती अम्बर सजाओ री… आज उतरेगी प्रिय की सवारी…काजल लाओ, मुझे काला टीका लगाओ…’’ सरीखे कीर्तनों पर सभी को भाव विभोर कर दिया।

व्यवस्थापक चेतन सेठ ने बताया कि पूर्णोत्सव के दूसरे दिन रविवार को प्रातः 11 बजे श्रीकृष्णास्य बावा की चैक विराजकर विधि विधानपूर्वक जनेऊ वर्षगांठ की आरती होगी। वहीं, दोपहर 2 बजे मथुराधीश प्रभु को वाहन रैली के साथ दशहरा मैदान होते हुए छप्पन भोग परिसर लाया जाएगा। जहां प्रथमेश गार्डन में 4 बजे से पुष्टिमार्गीय प्रतिभाओं को अलंकरण समारोह होगा। समारोह में स्वायत्त शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल मुख्य अतिथि होंगे।

छप्पनभोग के मनोरथ के दर्शन
उन्होंने बताया कि सायं 6 बजे से छप्पनभोग के मनोरथ के दर्शन होंगे। जिसके लिए विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न समेत 56 प्रकार व्यंजन तैयार करने में कारीगर लगे हुए हैं। श्री मथुराधीश प्रभु परम्परा अनुसार छप्पनभोग परिसर पधारकर छप्पनभोग आते हैं, अतः इस बार भी छप्पनभोग परिसर में ही छप्पनभोग उत्सव होगा।