कोटा। हम शिक्षा से डॉक्टर व इंजीनियर तो बन सकते हैं लेकिन अच्छा इंसान बनना है तो संस्कारित होना जरूरी है। हम संस्कारों से ही परिवार, समाज और देश का महत्व समझते हैं। दूसरों के लिए जीना सीखते हैं। श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने यह बात शुक्रवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के दो दिवसीय संस्कार महोत्सव के दूसरे दिन विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कही। इस आयोजन में दो दिन में एक लाख से अधिक स्टूडेंट्स, पेरेन्ट्स, फेकल्टीज व आमजन शामिल हुए।
स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने राजीव गांधी नगर में हुए संस्कार महोत्सव में कहा कि संस्कार ही हैं जो हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं, हमारे चरित्र को निर्मल रखते हैं, हमें कर्तव्यपरायणता की याद दिलाते हैं। ईश्वर की अनुकम्पा के साथ सभी का विश्वास और साथ भी जुड़ा होता है। हमारा विश्वास कितना मजबूत है, यह हमें आगे ले जाता है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से दानपुण्य अवश्य करें और इसकी निरन्तरता बनाए रखें, हो सकता है इससे कुछ लाभ नहीं हो रहा हो लेकिन एक दिन इसका पुण्य प्राप्त होगा।
विद्यार्थियों को सफलता का मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को पंच लक्ष्ण का ध्यान रखना होगा। काग चेष्ठा, बको ध्यानम, श्वान निद्रा, अल्पहारी व गृहत्यागी अर्थात एक विद्यार्थी को कौए की तरह चेष्टावान और बगुले की तरह एकाग्र होना चाहिए। श्वान के समान संतुलित नींद लेनी होगी और सात्विक आहार लेना चाहिए और घर का मोह त्यागते हुए लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाएं। सात्विक आहार के साथ जो विद्या ग्रहण करते हैं, वही आपके पास रहती है।
इस दिव्य आयोजन में शहर के शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी शामिल हुए। शास्त्रीय गायिका सूर्यागायत्री ने गुरूवंदना प्रस्तुत की तथा एलन के पूर्व छात्र पीयूष पंवार ने देशभक्ति गीत भी गाए। कार्यक्रम में महाराज स्वामी जी घनश्यामाचार्य जी ने एलन के ब्रोशर का विमोचन किया।
भक्ति भजनों की बही सरिता
कार्यक्रम की शुरुआत एलन प्रार्थना के साथ हुई। निदेशक गोविन्द माहेश्वरी के साथ, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी ने एलन प्रार्थना गाई। इसके बाद गोविन्द माहेश्वरी ने ‘महाराज गजानन आओ नी, म्हारी सभा में रंग बरसाओ नी…..‘ से भक्ति गीतों की शुरूआत की। इसके बाद एक के बाद एक भजनों की सरिता बहना शुरू हो गई। निदेशक राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी ने भी भजनों में पूरा साथ दिया।
गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज….., झुक जाओ श्रीरंग जी नाथ झुकनो पड़ सी….., राम नाम अति मीठा है कोई गाकर देख ले…., छोटी-छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल….., छम-छम नाचे देखो वीर हनुमाना….. सहित कई भजनों पर विद्यार्थी झूमे। भक्ति भजनों के दौरान झांकियां और आकर्षक नृत्य के बीच स्टूडेंट्स पर खूब पुष्पवर्षा भी हुई।
मस्ती में झूमे स्टूडेंट्स
कंधे पर बैग और हाथों में किताबें लिए नजर आने वाले इन स्टूडेंट्स के हाथों में भजनों की पुस्तक थी और कंधे पर कोई बोझ नहीं था। एक के बाद एक भक्ति भजन शुरू होते और हर स्टूडेंट अपनी धुन में थिरक उठता, कोई अकेला तो कोई समूह में नाचने में मगन हो गया। कोटा में विश्व की सबसे बड़ी भक्ति की पाठशाला का आयोजन एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा संस्कार महोत्सव के रूप में किया गया।
दो दिवसीय इस संस्कार महोत्सव में पहले दिन का आयोजन लैंडमार्क सिटी कुन्हाड़ी में तथा दूसरे दिन का आयोजन राजीव गांधी नगर में हुआ। दोनों दिन स्टूडेंट्स ने बड़े उत्साह के साथ इस आयोजन में भाग लिया। स्टूडेंट्स के साथ-साथ फेकल्टी मैंबर्स भी इस आयोजन में अलग ही रूप में परम्परागत वस्त्रों में नजर आए। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा संस्कार महोत्सव वार्षिकोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
भगवान लक्ष्मी-वैंकटेश के विवाहोत्सव का आकर्षण
कार्यक्रम में श्री तिरूपति बालाजी के कल्याणोत्सव की तर्ज पर भगवान लक्ष्मी-वेंकटेश का विवाहोत्सव वैष्णव परंपरा के अनुसार मनाया गया। यहां पहले आकर्षक सजे पाण्डाल में माता लक्ष्मी जी विराजे, इसके बाद भगवान वैंकटेश की सवारी लाई गई। सवारी के आगे वर पक्ष के सदस्य भक्ति भजनों पर झूमते रहे।
इस पारंपरिक वातावरण में दुल्हे रूप में सजे शंख चक्रधारी भगवान श्रीवेंकटेश की एक झलक देखने के लिए सभी अपने स्थान पर खड़े हो गए। इस दौरान जमकर पुष्पवर्षा की गई। गीतों के साथ परिसर तक सवारी पहुंची तो युवाओं का उत्साह हिलौरे लेने लगा। स्वर्ण मंगलगिरी में सुसज्जित भगवत विग्रह, राज्योपचार (छडी, छत्र, चंवर, झंडे, शंख चक्र आदि) से शोभायमान थे। पूरे परिसर में सवारी को घुमाने के बाद माता लक्ष्मी के पास ले जाया गया, जहां से विवाहोत्सव हुआ।