जयपुर / कोटा। रीको के प्रबन्धक निदेशक आशुतोष एटी ने बढ़वार को कोटा के रीको अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मुख्यालय से नये आदेश नहीं आये तब तक औद्योगिक भूखंडों पर निर्मित किसी हॉस्टल को अधिग्रहण के नोटिस जारी नहीं किये जाएं। एमडी के निर्देश की पुष्टि lendennews-ee4f51.ingress-erytho.ewp.live से बातचीत में रीको के सीनियर रीजनल मैनेजर एसके गर्ग ने भी की है। उन्होंने कहा पहले जारी हो चुके नोटिस लोगों के पास अब पहुँच रहे हैं, लेकिन अब कोई नोटिस इस मामले में जारी नहीं किए जाएंगे।
इससे पहले कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रान्ति जैैन एवं महासचिव अशोक माहेश्वरी ने जयपुर में रीको के चैयरमैन कुलदीप राका एवं प्रबन्धक निदेशक आशुतोष ए.टी. से भेंट कर कोटा में रीको द्वारा होस्टलों के भूखण्डों को निरस्त कर उनके अधिग्रहण की कार्यवाही के बारे में विस्तृत चर्चा की।
महासंघ के अध्यक्ष जैैन एवं महासचिव माहेश्वरी से रीको के चैयरमैन कुलदीप राका एवं उनके साथ मौजूद प्रबन्ध निदेशक आशुतोष ए.टी. ने कोटा में चल रहे घटनाक्रम की पूरी जानकारी प्राप्त की। चैयरमैन कुलदीप राका ने इस मसले की गम्भीरता को देखते हुये रीको के प्रबन्धक निदेशक आशुतोष ए.टी. के साथ विस्तृृत चर्चा करने की बात कही।
प्रबन्धक निदेशक के साथ हुुई बैठक में कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने बताया कि रीको द्वारा सन् 2014 के पहले औद्योगिक क्षेत्र में अन्य व्यवसाय संचालित करने की अनुमति दे दी जाती थी, क्योंकि यह क्षेत्र अब पूर्णतया शहर के मध्य आ चुका है। कोटा में पिछले 15 वर्षाे से चल रहे इस क्षेत्र में ओद्यौगिक अवरोध से हजारों उद्योग बन्द होने लगे। साथ ही बेरोजगारी फैलने लगे।
इसी को दृष्टिगत रखते हुये सन् 2014 तक रीको द्वारा इस क्षेत्र में खाली पड़े भूखण्डों पर अन्य व्यवसाय के संचालन की अनुमति देना प्रारम्भ कर दिया। इसी के तहत बन्द पड़े उद्योगों के उद्यमियों ने एवं खाली पड़े भूखण्डों पर कोचिंग संस्थानों एवं अन्य व्यावसायियों ने व्यावसायिकरण करके इस क्षेत्र में अरबों रूपयों का निवेश करके विकास किया साथ ही हजारों लोगों को रोजगार भी मिला।
कोचिंग छात्रों की सुरक्षा एवं उनके समय की बचत को देखते हुये सन 2010 में यहां 5 होटल की अनुमति दी गई। होटल एवं हाॅस्टल की परिभाषा एक होने के कारण अनुमति प्राप्त होटलोें में होस्टल व्यवसाय होने लगा, जिससे यहां नये रोजगार के साधन उपलब्ध हुये। इनको दी गई अनुमति को देखते हुये सन 2012 में बन्द पड़े उद्योंगों एवं बेरोजगार हुये उद्यमियों ने अपने रोजगार के लिये नयी दिशा देखते हुये इसी आशा के साथ अपने भूखण्डों पर बैंकों से करोड़ों रूपये का ऋण लेकर बहुतायात में होस्टलों को निर्माण प्रारम्भ किया।
साथ ही 5 होटलों को दी गई अनुमति की आशा से उन्होने ने रीको में अनुमति के प्रार्थना पत्र लगा दिये। अचानक सन 2014 में रीको द्वारा इस क्षेत्र में सम्पूर्ण व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन पर रोक लगा दी गई, जिसकी उद्यमियों को कोई जानकारी नहीं दी गई। न ही इसे प्रचारित या प्रसारित किया गया।
माहेश्वरी ने बताया कि यहा करीब 700 से 1000 करोड़ का निवेश जो इस क्षेत्र में हुआ, और करीब 10000 लोगों को रोजगार मिला और करीब 20000 विद्यार्थियों को यहां रहने की सम्पूर्ण व्यवस्था मिलने लगी, जिससे शैक्षणिक माहौल इस क्षेत्र में नजर आने लगा। रीको द्वारा सन 2016 में इस क्षेत्र में हो रही समस्त व्यवसायिक गतिविधियों के भूखण्डों को नोटिस देकर उन्हें निरस्त कर दिया गया। बार बार उद्यमियों द्वारा व्यावसायिक अनुमति लेने के बारे में भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई।
अति तो जब हो गई जब जून-2019 में जारी अध्यादेश को माध्यम बनाकर भूखण्डों को अधिग्रहण कर उन्हें पुनः नीलामी करने के नोटिस जारी कर दिये गये जो कतई न्याय संगत नहीं है। उन्होंने प्रबन्ध निदेशक से अपील की कि व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुये पूर्व की तरह उद्यमियों को अन्य व्यवसाय के संचालन की अनुमति दी जाये और यहां बने शैक्षणिक माहौल को देखते हुये इस क्षेत्र शैक्षणिक जोन घोषित कर इस क्षेत्र में निर्मित सभी व्यवसायिक गतिविधियों को नियमित किया जाये, जिससे उद्यमियों और यहां निवास करने वाले विद्यार्थियों को भारी संकट से बचाया जा सके।
कोटा के जनप्रतिनिधि एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल द्वारा भी इस गम्भीर मसले को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुये कोटा के जनहित, शैक्षणिक माहौल एवं रोजगार को देखते हुये सकारात्मक कार्यवाही के निर्देश जारी किये है।