विकास की दौड़ में भारत फिर चीन से पिछड़ा

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नई दिल्ली। विकास की दौड़ में भारत फिर चीन से पिछड़ गया। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2019) में भारत की विकास दर महज पांच फीसदी रही। इस दौरान चीन की विकास दर 6.2 फीसदी रही। कुछ समय पहले तक दुनिया की सबसे अधिक विकास दर वाली बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा अपने पास रखने के बाद हाल में भारत की विकास दर चीन से कम दर्ज की जा रही है।

यह तब है जबकि चीन की विकास दर भी कई साल के निचले स्तर पर चल रही है। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में भारत की विकास दर गत छह साल में सबसे कम रही है। इससे पहले पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च 2019) में भी भारत चीन से पिछड़ गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की विकास दर 5.8 फीसदी रही थी। उस दौरान चीन की विकास दर 6.4 फीसदी थी।

देश के कई सेक्टरों में हैं मंदी जैसे हालात
देश के कई सेक्टरों में भारी सुस्ती देखी जा रही है। वाहन, रिटेल, रियल्टी, एफएमसीजी, अल्यूमीनियम उत्पाद, वित्तीय निवेश, इलेक्ट्रिक उपकरण और स्टील क्षेत्र भारी सुस्ती से गुजर रहे हैं। जुलाई में कारों की बिक्री में 19 महीने की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। बिस्कुट और साबुन के दामों में कटौती से इन सेक्टरों के भी सुस्ती में होने का संकेत मिलता है।

कई एजेंसियों ने घटाया है चालू वित्त वर्ष का विकास अनुमान
सुस्ती जैसे हालात को देखते हुए कई एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष में देश का विकास अनुमान घटा दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने विकास अनुमान को सात फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश के विकास अनुमान को 6.8 फीसदी से घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया है।

वहीं, घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने भी देश के विकास अनुमान को 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है। इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि खपत में कमी, मानसून के आगमन में देरी और देश के विभिन्न हिस्सों में असमान वर्षा तथा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्ती जैसे हालत के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए देश के विकास अनुमान में कटौती की गई है।