नई दिल्ली। भारत में सोने की बिक्री पर करों में वृद्धि अल्पकालिक मांग पर दबाव डाल सकती है। यह बात वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने अपनी एक रिपोर्ट के जरिए दी है। जानकारी के लिए बता दें कि सोने के उपभोग के मामले में भारत विश्व का दूसरा बड़ा देश है।
भारत इकलौता ऐसा देश है जहां शादियों में खरीदारी से लेकर निवेश तक के लिए सोने की मांग लोगों में देखी जाती है, यह स्थिति वैश्विक कीमतों में और गिरावट ला सकती है, जो कि पहले से ही बीते 7 हफ्तों के निचले स्तर पर है। डब्ल्यूजीसी की ओर से गुरुवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है, “कम से कम अल्पावधि में, हम मानते हैं (कर) उद्योग के लिए चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
टैक्स अनुपालन के लिहाज से अलग-अलग डिग्री वाले छोटे-छोटे कारीगर और खुदरा विक्रेताओं को अनुकूलन करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।”एक नए देशव्यापी अप्रत्यक्ष बिक्री कर शासन में, जिसे एक 1 जुलाई से लागू किया जा चुका है। उस पर जीएसटी काउंसिल की ओर से 3 फीसद का कर लगाया गया है जो कि पहले 1.2 फीसद हुआ करता था।
लोगों में डर है कि सोने पर टैक्स में हुआ यह इजाफा भारत में स्मगलिंग को बढ़ावा देगा जहां लोग अपनी गाढ़ी कमाई का कुछ हिस्सा बुलियन और ज्वैलरी में खर्च कर देते हैं। इसी बीच डब्ल्यूजीसी ने यह भी कहा है कि सरकार की ओर से 2 लाख रूपए से ऊपर के कैश लेनदेन पर 1 अप्रैल से लागू रोक ग्रामीण इलाकों में सोने की मांग को कम कर सकते हैं।