महाराष्ट्र में पत्रकारों और मीडिया संस्थानों हमला करने वालों की खैर नहीं है। ऐसे हमलावरों को तीन साल की सजा हो सकती है। शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में इससे संबंधित विधेयक पारित किया गया। विधेयक में कानून का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ भी कार्यवाही का प्रावधान है। पत्रकारों की सुरक्षा से संबंधित कानून बनाने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बन गया है।
महाराष्ट्र में प्रसारमाध्यम संस्था (हिंसक कृत्य व संपत्ति नुकसान अथवा हानि प्रतिबंध) अधिनियम-2017 को एक दिन पहले कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। शुक्रवार को यह विधेयक विधानसभा व विधान परिषद में पेश किया गया।
दोनो ही सदनों में इसे पारित कर दिया गया। इस विधेयक में जहां पत्रकार व मीडिया संस्थान पर हमला करने वालों का अपराध गैरजमानती होगा। पत्रकारों के साथ ड्यूटी के दौरान किसी तरह की हिंसा करने, पत्रकार अथवा मीडिया संस्थान की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर इस कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सकेगा।
विधेयक में दोषी को तीन साल की सजा 50 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है। विधेयक के अनुसार पत्रकारों, मीडिया संस्थानों के साथ कांट्रैक्ट पर काम करने वाले पत्रकारों पर हमला करना गैरजमानती अपराध होगा।
हमला करने वाले को पीड़ित के इलाज का खर्च और मुआवजा भी देना होगा। मेडिकल खर्च व मुआवजा न अदा करने पर भूमि राजस्व बकाया मान कर रकम वसूल की जाएगी। पुलिस उपाधीक्षक व उससे उच्च स्तर का अधिकारी इस तरह के मामलों की जांच करेगा। साथ ही, यदि आरोप झूठा पाया गया तो दोषी व्यक्ति यदि मान्यता प्राप्त पत्रकार है, तो उसकी अधिस्वीकृति भी समाप्त की जा सकेगी । इसके साथ ही उसके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
विधेयक में कहा गया है कि राज्य में पत्रकारों व मीडिया संस्थानों पर हमले की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग साल 2005 से ही की जा रही थी। तत्कालीन गृहमंत्री आरआर पाटील ने पत्रकारों की सुरक्षा से जुड़ा कानून बनाने का वादा किया था। इसके बाद नारायण राणे की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी लेकिन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार इसे कानून का शक्ल नहीं दे सकी। इसके लिए पत्रकार हल्ला विरोधी कृति समिति लंबे समय से लड़ाई लड़ रही थी।