हाड़ौती अंचल में स्वैच्छिक रक्तदान का अलख गांवों तक पहुंचा

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युवा रक्तवीरों ने दिखाया जज्बा ,अब तक 1 हजार गंभीर रोगियों की जान बचाई। एक कॉल पर पहुंच रहे हैं नेगेटिव ग्रुप के रक्तदाता।
अरविन्द गुप्ता
कोटा। ‘मानवता का कोई मजहब नहीं’ इस सोच के साथ हाड़ौती के कुछ युवा सोशल मिडिया के जरिए जरूरतमंदों व गंभीर मरीजों के लिए गत 8 माह से नियमित स्वैच्छिक रक्तदान कर रहे हैं। 18 अगस्त,2016 को सुनेल कस्बे में ‘युवा रक्तदाता समूह’ का गठन करके टीम ने फेसबुक एवं वाट्सएप ग्रुप से 4 हजार से अधिक युवाओं को 24 घंटे स्वैच्छिक रक्तदान मिशन से जोड़ा। ये सदस्य विभिन्न स्थानों पर पहुंचकर रोज 10 से 15 यूनिट रक्त की निःशुल्क मदद कर रहे हैं।
झालावाड़ की 6 पंचायत समितियों में शिविर लगाकर समूह ने जिले में सर्वाधिक रक्तदान किया। भवानीमंडी के रक्तिमा ब्लडबैंक में गत माह दो शिविर से 123 यूनिट रक्त एवं सुनेल कस्बे में फरवरी माह में 157 यूनिट रक्तदान किया, जिसमें 11 महिलाओं ने भी पहली बार रक्तदान किया। सातलखे़ड़ी में 303 यूनिट स्वैच्छिक रक्तदान कर बीमार खान श्रमिकों को राहत पहंुचाई। सर्वधर्म समभाव के साथ युवा सदस्य प्रत्येक जाति-धर्म के रोगी को तुरंत रक्त पहुंचाते हैं। मंदसौर में सरकारी अस्पताल में नियुक्त डाॅ.हिमांशु यजुर्वेदी ने जिला अस्पताल में 30 शिविर लगाकर 500 से ज्यादा यूनिट रक्त मरीजों को निःशुल्क उपलब्ध कराया। डाॅ.एपीजे कलाम सेवा संस्थान, भादरा के अध्यक्ष अशोक सैनी ने बताया कि भीलवाड़ा के विवेकानंद हाॅस्पिटल में एक शिविर में युवाओं ने 392 यूनिट रक्त दिया। सोशल मिडिया पर तत्काल सम्पर्क हो जाने से रक्तवीरों में जोश एवं उत्साह है। गर्मी को देखते हुए इन दिनों हाडौती के सभी सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की कमी होने लगी, ऐसे में युवाओं ने इसे अपना मिशन बना लिया।

Female blood donor
जिंदगी हमें नया मौका देती है
रक्तदाता समूह के काॅर्डिनेटर जय गुप्ता (28) ने बताया कि 20 से 30 वर्ष की उम्र के युवाओं में सेवा का ऐसा जज्बा है कि कॉल या मैसेज मिलते ही वे तुरंत काम छोड़़ रक्त देने पहुंच जाते हैं। आने-जाने का का खर्च भी वे स्वयं उठाते हैं। इसी माह एमबीएस हास्पिटल में थैलीसिमिया पीड़ित बेटी ट्विंकल को ए-नेगेटिव रक्त की जरूरत थी, उसे युवा मुकेश शर्मा ने 51वीं बार निःशुल्क लाइव नेगेटिव रक्तदान कर मदद की। 31 मार्च को एक रक्तवीर ने झालावाड के सरकारी हास्पिटल में 5 दिन की नवजात कन्या को रक्त दिया। समूह की सदस्य परी सैनी (26) ने इसी माह एक गरीब रोगी को रक्त देकर जान बचाई। उसने कहा कि मैने रक्तदान कर अपना नैतिक फर्ज निभाया। जिदंगी खुशी के लिए नया मौका देती है। समूह के हेल्पलाइन नं. 9460094500 पर काॅल करने से रोगी को किसी भी स्थान पर निःशुल्क रक्त मिल सकता है।
बीकानेर में 3500 यूनिट रक्तदान
पूर्व सैनिक मेवासिंह ने बीकानेर में रक्तदान क्रांति जगा दी। 2 अप्रैल को उन्होंने 14 शिविर लगाकर 3500 यूनिट स्वैच्छिक रक्तदान करवाया। बीकानेर के युवाओं ने एक ही शिविर में सर्वाधिक 3308 यूनिट रक्तदान का कीर्तिमान बनाया। दान की गई रक्त की मात्रा शरीर अगले 24 घंटे में स्वतः निर्मित कर लेता है। टीम के सदस्य अपने ग्रुप पर रोज रक्तदान का रिपोर्ट कार्ड एक-दूसरे को शेयर करते हैं। एक युवा ने रक्तदान कर मां से कहा-‘मां तेरा बेटा रक्त नहीं देता, दुआएं लेता है। तुम्हारे जैसी कई मांओं की…।’
शादी-सत्संग में रक्तवीरों का सम्मान
रामगंजमंडी में राकेश वैष्णव अपने बेटे की शादी में 30 अप्रैल को रक्तवीरों का सम्मान करेंगे। यहां व्यवसायी विजय गुप्ता गायत्री परिवार के सत्संग कार्यक्रम के साथ रक्तदान शिविर लगाते हैं। रक्तदाता युवा टीम के नेटवर्क में भुवनेश गुप्ता, शेर खान, रामेश्वर मकवाना, नरेंद्र फरक्या,  मेवा सिंह, राजेंद्र माहेश्वरी, जावेद खान, विकास पारेता, डाॅ भगवती मीणा, अनिल शर्मा ‘चिंटू’, बहादुर गुर्जर, रामधन मीणा, शुभम श्रंगी, विश्वास आचोलिया, सुदीप राठौर, सुनील चैधरी, राजेश मंडलोई, नीतेश सेन, विजय गुप्ता, कालू मित्तल, सतपाल, जयपुर एवं सतपाल, जोधपुर विभिन्न शहरों-कस्बों में रोगियों को सक्रिय मदद पहुंचाने में जुटे हैं। युवा समूह ने अगले चरण में 101 नेत्रदान करवाने का संकल्प किया।
इंसानियत की ऐसी मिसाल कहां
केस-1: कोटा से 40 किमी दूर चारभुजा (रावतभाटा) में हेमलता नायक को प्रसव के समय रक्त नहीं मिलने से तबीयत बिगड़ गई। पति या परिजन अस्पताल में मौजूद न होने से ओ-नेगेटिव रक्त का इंतजाम मुश्किल था। वाट्सएप पर सूचना मिलते ही रक्तदाता समूह ने मुस्तैदी दिखाई। तत्काल 125 किमी दूर रावतभाटा पहंुचकर 5 यूनिट नेगेटिव रक्त मुहैया कराया, जिससे प्रसूता हेमलता व नवजात शिशु की जान बच गई।
केस-2: महावीर कैंसर हाॅस्पिटल, जयपुर में भर्ती 4 साल के बालक आशुतोष बाला की कैंसर से हालत नाजुक हो गई। ओ-नेगेटिव रक्त समय पर मिलना मुश्किल था, इसकी सूचना वाट्सएप ग्रुप पर मिलते ही समूह के रक्तवीर मुकेश ने जयपुर जाकर उसे रक्त पहुंचाया। अभी उसका इलाज चल रहा है।
केस-3: 4अप्रैल को भवानीमंडी अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिला को ओ-नेगेटिव रक्त की जरूरत थी लेकिन नेगेटिव ग्रुप नहीं मिलने से परिजन चिंतित थे। सूचना मिलते ही 19 वर्षीय बीएससी छात्र दीपक राठौड़ अपनी पढ़ाई छोड़ ओ-नेगेटिव ग्रुप रक्त देने पहुंच गए, जिससे महिला के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। इसी दिन झालावाड़ के जिला अस्पताल़ में कन्हैयालाल की पत्नी पूजा को रक्त की जरूरत थी, एक दलाल ने उससे 1700 रू मांगे, उसने समूह की मदद ली, जिससे तुरंत निःशुल्क रक्त मिल गया।