कैश में एक चालान पर 10 हजार से ज्यादा जमा नहीं होगा जीएसटी

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नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने में अब तीन महीने से भी कम समय बचा है। बहुत से व्यवसायी जो फिलहाल सेवा कर, उत्पाद शुल्क या वैट के असेसी हैं वे या तो जीएसटी के लिए पंजीकरण करा चुके होंगे या फिर कराने जा रहे होंगे। इस सबके बीच आपको एक बात ध्यान रखने की जरूरत है कि जीएसटी के तहत कैश में एक चालान पर 10,000 रुपये से अधिक टैक्स जमा नहीं होगा। इसलिए आपको एक जुलाई से पहले यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आपके पास क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग जरूर हो।
जीएसटी काउंसिल ने वस्तु व सेवा कर के भुगतान से संबंधित नियम तैयार कर लिए हैं। सरकार ने इन नियमों का मसौदा हाल में सार्वजनिक किया है। इन नियमों के अनुसार आप इंटरनेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड से जीएसटी का भुगतान कर सकते हैं।
इसके अलावा नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) के माध्यम से भी किसी बैंक से जीएसटी का भुगतान किया जा सकता है। हालांकि कैश, चेक या डिमांड ड्राफ्ट के जरिये प्रति चालान मात्र दस हजार रुपये का जीएसटी भुगतान ही किया जा सकता है।
वैसे, सरकारी विभागों के संबंध में यह सीमा लागू नहीं होगी। अगर किसी व्यक्ति पर जीएसटी बकाया है और उसकी चल-अचल संपत्ति बेचकर इस कर को वसूला जाता है तो उस मामले में भी यह सीमा लागू नहीं होगी। जो व्यक्ति समय पर जीएसटी भुगतान नहीं करेगा, उसे 18 प्रतिशत तक ब्याज चुकाना पड़ सकता है।
जीएसटी भुगतान करते समय व्यापारी को प्रत्येक ट्रांजैक्शन की एक पहचान संख्या दी जाएगी। इससे वह उस भुगतान के संबंध में जरूरत पड़ने पर पूछताछ कर सकेगा। खास बात यह है कि जीएसटी के लिए पंजीकृत सभी कारोबारियों का एक इलेक्ट्रॉनिक टैक्स लायबिलिटी रजिस्टर रखा जाएगा।
केंद्रीय जीएसटी कानून की धारा 49 की उपधारा सात के तहत यह रजिस्टर बनाया गया है। इसमें उक्त कारोबारी की ओर से जमा किए गए और बकाया टैक्स का पूरा ब्योरा होगा।
साथ ही इस रजिस्टर में इस बात का विवरण भी होगा कि किस कारोबारी के खाते में कितनी राशि इनपुट क्रेडिट के रूप में है। वह इसका इस्तेमाल केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी, संघ राज्य क्षेत्र जीएसटी या एकीकृत जीएसटी के भुगतान के लिए कर सकेगा। इससे कारोबारियों को आयकर का लाभ लेना आसान हो जाएगा।