परमात्मा के स्मरण से रोग, शोक दोष होते हैं दूर : आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। दिगंबर जैन मन्दिर महावीर नगर विस्तार योजना में चातुर्मास कर रही आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने रविवार को अपने प्रवचन में कहा कि परमात्मा का स्मरण करने से रोग, शोक दोष दूर होते है। हमें हर क्षण विवेक व उपयोग से पाप कर्मों से बचना है। विवेक व उपयोग ही धर्म है। अधिकाधिक समय परमात्मा साधना, आराधना व भक्ति में लगाना है। परमात्मा भक्ति सहज है।

उन्होंने कहा कि साधक में आत्मा से परमात्मा जुड़ने की शक्ति है। श्रावक-श्राविकाओं को अपनी शक्ति का सदुपयोग विवेक से करना है। हिंसा, रात्रि भोजन से बचना है तथा द्रव्य व भाव पूजा, जप, तप व स्वाध्याय, ध्यान, प्रतिक्रमण व सामयिक के माध्यम से अपने कर्मबंधनों से मुक्ति के लिए प्रयास व पुरुषार्थ करना है। आलस व प्रमाद को त्यागना है।

साध्वी सौम्यनन्दिनी माताजी ने कहा कि परमात्मा के पास अक्षत खजाना है, उस खजाने की प्राप्ति के लिए जागृत होने व श्रद्धा भीतर में जगाने की दरकार है। चातुर्मास देव, गुरु व धर्म के प्रति हमें जगाने, जागृति लाने तथा अपने आत्म कल्याण का मार्ग दिखाने के लिए है। चातुर्मास का सदुपयोग करें।