अनूठी शादी: पहले वृक्षदान, फिर कराया कन्यादान

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कोटा। दानबाड़ी में चल रहे विवाह समारोह के दौरान वर वधु के फेरे सम्पन्न ही हुए थे कि वधु के पिता ने पहले गार्डन में चलने को कहा, तो हर कोई चौंक गया। दरअसल फेरों के बाद कन्यादान की रस्म निभाई जानी थी, लेकिन वधु के पिता ने कन्यादान बाद में करने की बात कह दी। पर्यावरण प्रेमी त्रिलोकचन्द जैन की पुत्री ज्योति का विवाह डीसीएम कोटा निवासी दीपक के साथ हुआ है।

पर्यावरण को समर्पित त्रिलोकचन्द जैन ने बेटी का कन्यादान करने से पहले वर वधु के हाथों से विवाह स्थल परिसर में ही पौधारोपण के द्वारा वृक्षदान कराया। इसके बाद ही कन्यादान की परंपरा पूरी हो सकी।

पर्यावरण को समर्पित त्रिलोकचन्द जैन अमृतादेवी पर्यावरण एवं नागरिक संस्थान के कोटा बूंदी विभाग के प्रमुख हैं। त्रिलोकचन्द जैन ने बताया कि प्रतिवर्ष विवाह की वर्षगांठ और जन्मदिन जैसे अवसरों पर भी पौधरोपण करते हैं तथा इन पौधों की देखभाल के लिए हर वर्ष इनका भी जन्मदिन मनाते हैं।

त्रिलोकचन्द जैन पिछले कुछ वर्षाें में 2 हजार से अधिक पौधे लगवा चुके हैं। उन्होंने अपनी पुत्री ज्योति के विवाह पर अपनी इस परंपरा को नहीं छोड़ा और नवविवाहित जोड़े के हाथों में नीम, कनीर, पीपल, बरगद, केला, तुलसी समेत 11 पौधे लगाकर अपने नए जीवन की सार्थक शुरूआत की।

त्रिलोकचन्द जैन ने बताया कि पर्यावरण में बढते असंतुलन के कारण से आने वाली पीढियों को परेशानी हो सकती है। जिसके लिए हमें आज ही चेतना पड़ेगा। हर शुभ समारोह के अवसर पर पौधरोपण को रीत बनाना होगा, तब ही पर्यावरण सुधर सकता है। इन पौधों को लगाकर शुद्ध हवा और शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि तुलसी, नीम जहां औषधीय पौधा है, वहीं पीपल 24 घण्टे ऑक्सीजन छोड़ने वाला वक्ष है। केले का पौधा सुख समृद्धि का दाता माना गया है। नववधु ज्योति ने बताया कि पिता के पर्यावरण के प्रति समर्पण से घर में सभी परिचित हैं। हर शुभ अवसर पर पौधरोपण अब आदत बन चुकी है। इस परंपरा को नए घर में भी स्थापित करने का प्रयास करेंगे।