मुंबई। सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से निपटने के लिए किए जा रहे समन्वित प्रयासों के बीच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी ने म्युचुअल फंड कंपनियों का आगाह किया कि वे यह सुनिश्चत करें कि ऋण कोष के रूप में डूबा कर्ज उद्योग में न आने पाए।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के एक कार्यक्रम में त्यागी ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली का एनपीए, ऋण कोष के रूप में म्युचुअल फंडों को स्थानांतरित नहीं होना चाहिए। उद्योग को इस बारे में सावधान रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि गैर निष्पादित आस्तियां ऋण स्थानांतरण के रूप में एमएफ पोर्टफोलियो में न आने पाएं। इसके अलावा सेबी प्रमुख ने म्युचुअल फंड कंपनियों से अपनी जांच पड़ताल की प्रक्रिया को मजबूत करने को कहा जिससे इसके लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर उनकी निर्भरता कम हो सके।
उन्होंने कहा कि ऋण पोर्टफोलियो के डिफॉल्ट के उदाहरण हैं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से म्युचुअल फंड कंपनियों को अपनी जांच-पड़ताल और आकलन प्रक्रिया को मजबूत करने की जरूरत है। उन्हें सिर्फ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सेबी प्रमुख ने एकीकरण की वकालत करते हुए कहा कि 45 म्युचुअल फंड कंपनियां 2,000 से अधिक उत्पाद बेच रही हैं।