नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी आज दूसरी बहार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। ऐसे में मोदी सरकार अपनी दूसरी पारी में कूटनीति के मोर्चे पर मजबूत रुख रखेगी। सरकार ने म्पना कार्यकाल शुरु करने से पहले ही कच्चे तेल के मसले पर सख्त फैसला लेने का संकेत दिया है। पीएम मोदी और कैबिनेट शपथ ग्रहण करने के बाद भारत सरकार ईरान से कच्चे तेल का आयात जारी रखने का फैसला ले सकती है।
कुछ समय पहले अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने भारत समेत सभी देशों को ईरान से तेल आयात ना करने की हितायद दी थी। लेकिन इसके खिलाफ मोदी सरकार ईरान से तेल आयात को लेकर बड़ा फैसली ले सकती है।
पिछले दिनों भारत ने आम चुनाव का हवाला देते हुए ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ को तेल आयात के बारे में तत्काल ठोस भरोसा देने से इनकार कर दिया था। भारत ने ईरान से कहा था कि आम चुनाव के बाद हालात की समीक्षा होगी, फिर कोई फैसला होगा। अब मुमकिन है कि ईरान को भारत अपने फैसले के बारे में अगले हफ्ते बताए।
गौरतलब है कि अमेरिका ने पिछले सालमई में ईरान के साथ परमाणु मुद्दे पर हुए समझौते से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद ईरान पर बैन फिर से अमल में लाए गए। इसके बाद अमेरिका ने भारत सहित आठ देशों को ईरान से तेल आयात में कमी लाने और धीरे-धीरे इसे बंद करने के लिए छह महीने का समय दिया था। ईरान पर अमेरिकी रियायत की मियाद इस महीने 2 मई को खत्म हो गई थी। भारत चीन के बाद ईरान के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है।
अपनी दूसरी पारी में पीएम मोदी को पहला औपचारिक न्यौता मालदीव से आया है। बुधवार को मालदीव की संसद ने एक प्रस्ताव पास कर पीएम मोदी को संबोधन के लिए आमंत्रित किया। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने बयान जारी कर इस बारे में भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।