जयपुर | सरकार ने अप्रधान खनिजों के लिए खनन पट्टाधारियों को बड़ी राहत दी है। खनन पट्टों एवं क्वारी लाइसेंसों की परफोरमेंस सिक्योरिटी को घटा कर आधा कर दिया है। लीज अवधि में 50 साल तक हर साल प्रीमियम जमा करवाने की बजाय अब एक साल का प्रीमियम ही जमा करवाना होगा। खातेदारी और लाटरी में जारी हुए मंशा पत्रों पर प्रीमियम लेकर संरक्षित किया जा सकेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अप्रधान खनिज रियायत नियम 2017 में संशोधन को मंजूरी दे दी है।
खातेदारी एवं लॉटरी से जारी मंशा पत्रों को किया संरक्षित : केंद्रसरकार द्वारा एमएमडीआर (संशोधन) एक्ट, 2015 के तहत सभी प्रकार के मंशा पत्रों को संरक्षित किया गया था। लेकिन राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए अप्रधान खनिज रियायत नियम 2017 में संरक्षित नहीं किया गया था।
डेड रेंट में हुआ संशोधन : खनिजरियायत नियम 2017 में नई एवं पुरानी सभी खानों पर एक मार्च से नया डेट रेंट लागू कर दिया गया था। अब पुरानी खानों को इससे छूट दे दी गई है अब सिर्फ नई खानों पर नया डेड रेंट शिड्यूल लागू होगा। सभी पुराने खनन पट्टाधारी 31 अगस्त, 2017 तक डेड रेंट का भुगतान पुरानी दर से करते रहेंगे। इन पट्टों का डेड रेंट 1 सितम्बर से संशोधित होगा। नया डेड रेंट पुराने डेड रेंट का दोगुना अथवा शिड्यूल रेट के अनुसार, जो भी कम हो, देय होगा। डेड रेंट अब चार त्रैमासिक किश्तों में कर दिया गया है।
पारिवारिक खान हस्तांतरण पर प्रीमियम राशि हुई कम: सरकारने खान धारक द्वारा खान का हस्तांतरण पत्नी, पति, पुत्र अथवा पुत्री को करने पर दी जाने वाली अधिकतम प्रीमियम राशि को भी दस लाख रूपए से घटा कर 50 हजार रुपए कर दिया है।
ईंटों की रॉयल्टी विभाग में होगी जमा : नाकोंपर रॉयल्टी वसूली में रही कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए अब यह वार्षिक रॉयल्टी राशि परमिट धारक द्वारा चार त्रैमासिक किश्तों में विभाग में जमा करवाई जाएगी।
पट्टों एवं क्वारी लाइसेंसों की परफोरमेंस सिक्योरिटी आधी
खननपट्टों एवं क्वारी लाइसेंसों की परफोरमेंस सिक्योरिटी 2017 में डेड रेंट या लाइसेंस फीस का 100% निर्धारित की थी, उसे 50% किया।
प्रीमियम राशि 50 साल की बजाय 1 साल ही देनी होगी
एलओआईधारकों स्वीकृति धारकों को लीज अवधि के दौरान प्रीमियम के रूप में पहले साल में एक बार एक वर्ष का प्रीमियम डेड रेंट या लाइसेंस फीस का ढाई गुना देना होगा। पहले लीज अवधि के दौरान प्रीमियम के रूप में पचास वर्ष की लीज अवधि में हर साल यह प्रीमियम देना होता था।