नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई को झटका दिया है। आरबीआई द्वारा बैंकों को जारी किए गए सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी करार दिया है। इस सर्कुलर में कहा गया था कि 180 दिनों के भीतर 2000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज वाले खातों की किस्त और ब्याज अगर नहीं चुकाया जाता है तो उनके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह आरबीआई के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
RBI ने 12 फरवरी को बैंकों के लिए यह सर्कुलर जारी किया था। यह मामला अलग-अलग हाई कोर्ट से होकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच तक पहुंचा था। हाई कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के इस सर्कुलर को चैलेंज किया गया था। रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी 2018 को जारी परिपत्र में पुनर्गठन की पुरानी योजनाओं को खत्म कर दिया था। परिपत्र के तहत आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया था कि यदि कोई कंपनी ऋण पुनर्भुगतान में एक दिन की भी देरी करे तो उसे डिफाल्टर के रूप में देखना चाहिए।
हालांकि, रिजर्व बैंक के इस नियम को काफी सख्त बताया गया है और संसदीय समिति सहित कई मंचों पर इसकी आलोचना की गई। आरबीआई के इस सर्कुलर के तहत बैंकों को 180 दिन के बाद दो हजार करोड़ के कर्ज़ को नहीं चुकाने वालों के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत इन्सॉल्वेंसी प्रॉसेस में जाना पड़ता था। इसकी अनिवार्यता सुप्रीम कोर्ट ने सर्कुलर को गैरकानूनी करार देते हुए खत्म कर दी है।