कोटा। कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए कर्मचारी भविष्यनिधि संगठन ने बड़ा फैसला लिया है। ईपीएफओ अब अपने सदस्यों को पेंशन निर्धारण के समय एक-एक पाई का हिसाब देगा। इसके तहत वर्कशीट के माध्यम से स्पष्ट किया जाएगा कि किसकी कितनी पेंशन बन रही है। इसके साथ ही यह भी बताया जाएगा कि क्यों और कैसे बन रही है।
ऐसे होता है पेंशन निर्धारण
स्टेप-1
16 नवंबर 1995 के पहले 1971 फैमिली पेंशन योजना के तहत पेंशन का निर्धारण किया जाता था। किसी भी वेतनमान में इस स्टेप में पेंशन की रकम 260 रुपये से अधिक नहीं होगी।
स्टेप-2
16 नवंबर 1995 से कर्मचारी पेंशन योजना कानपुर से ही लांच हुई थी। इसमें भी दो पार्ट हैं। अगस्त 2014 तक अधिकतम वेतन 6500 निर्धारित किया गया था। 6500 को कुल नौकरी की अवधि (साल में) से गुणा करके उसे 70 से विभाजित करके पेंशन का निर्धारण किया जाता है। यह अधिकतम अवधि 19 वर्ष है, ऐसे में इस स्टेप की अधिकतम पेंशन 1764 रुपये होगी। नौकरी की अवधि कम होने पर यह रकम कम होती जाए।
स्टेप-3
अगस्त 2014 के बाद से अधिकतम वेतनमान 15000 रुपये फिक्स कर दिया गया। यहां पंद्रह हजार रुपये को कुल नौकरी की अवधि (साल में) से गुणा करके उसे 70 से विभाजित करके पेंशन का निर्धारण किया जाता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में यह अधिकतम अवधि 5 वर्ष है, ऐसे में इस स्टेप की अधिकतम पेंशन 1071 रुपये होगी। नौकरी की अवधि कम होने पर यह रकम कम होती जाएगी।
यह होगी पेंशन :
तीनों स्टेप का जोड़ ही आपकी पेंशन होगा। ईपीएफओ इसका पूरा विवरण पेंशन वर्कशीट में देगा। आज की तारीख में कितना भी पुराना कर्मचारी हो उसकी अधिकतम पेंशन 3085 रुपये से बनेगी।
यह भी जानें
जिन कर्मचारियों का वेतन 16 नवंबर 1995 से अगस्त 2014 तक 6500 रुपये या अगस्त 2014 से अब तक 15000 रुपये से कम है, उनका औसत वेतन से पेंशन का निर्धारण होता है। औसत वेतन निकालने के लिए पिछले साठ महीने के वेतन को जोड़कर उसे साठ से भाग दे दिया जाता है। परंतु सरकार ने अब न्यूनतम वेतन एक हजार रुपये प्रति माह कर दिया है।
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