नई दिल्ली। मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई में निर्मित ट्रेन 18 का नाम वंदे भारत एक्सप्रेस रखा गया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को बताया कि सेफ्टी क्लियरेंस, जांच और परीक्षण के बाद सेमी-हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस अब यात्रियों की सेवा के लिए तैयार है। पहली ट्रेन का संचालन दिल्ली से वाराणसी के बीच फरवरी में किया जाएगा।
हालांकि, अभी तक तिथि घोषित नहीं की गई है, लेकिन ट्रेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से संपर्क किया गया है। वंदे भारत एक्सप्रेस का किराया अभी तय नहीं किया गया है। हालांकि, माना जा रहा है कि किराया शताब्दी से 40-50 प्रतिशत अधिक होगा।
रविवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि इंजन रहित ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस में ट्रैक्शन इक्विपमेंट बोगियों के नीचे लगे हैं। इसे सरकार के इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर (ईआइजी) ने गुरुवार को हरी झंडी दे दी। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली और वाराणसी के बीच 755 किलोमीटर की दूरी यह ट्रेन आठ घंटे में तय करेगी। नई दिल्ली से चलकर यह कानपुर और प्रयागराज में रुकने के बाद वाराणसी पहुंचेगी।
इस मार्ग पर चलने वाली सबसे तेज ट्रेन होगी। अभी तक सबसे तेज ट्रेन नई दिल्ली से वाराणसी के बीच की दूरी 11 घंटे 30 मिनट में तय करती है। पूरी ट्रेन वातानुकूलित और चेयर कार वाली है, जिसमें 16 कोच होंगे। इनमें से दो एक्जीक्यूटिव चेयर कार और बाकी सामान्य चेयर कार वाले कोच होंगे।
ट्रेन का पहला और अंतिम कोच दिव्यांगों के लिए होगा। संचालन से पहले ट्रेन के दरवाजे स्वयं बंद हो जाएंगे। पहले कोच से लेकर अंतिम कोच तक जाने के लिए ट्रेन के अंदर दरवाजे लगाए गए हैं। ट्रेन के रुकने के समय कोच के अंदर से सीढ़ियां बाहर निकलेंगी।
और तेजी से बढ़ाया जाएगा उत्पादन : मेक इन इंडिया के तहत बनाई जा रही इस ट्रेन के कोच अब और तेजी से तैयार किए जाएंगे। मात्र 18 माह में ट्रेन की परिकल्पना करने के बाद डिजाइन और वास्तविक ट्रेन को तैयार करने के साथ सफल ट्रायल को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बड़ी उपलब्धि बताया। ऐसी 30 ट्रेन तैयार की जानी हैं। सबसे पहले देश में इन ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री ने भी उत्पादन कार्य को और तेज करने को कहा है।
निर्यात की भी योजना : स्वदेश निर्मित ट्रेन का उत्पादन बढ़ने पर इन ट्रेनों को निर्यात करने की भी योजना है। उम्मीद है कि करीब डेढ़ वर्ष बाद ट्रेन का निर्यात शुरू हो जाएगा। रेल मंत्री ने कहा कि अब तक हम विदेशी तकनीक और पुर्जों के जरिए ट्रेन बना और संचालित कर रहे थे, आने वाले दिनों में विदेश में भी इंडिया में बनी ट्रेनों का संचालन होगा