नई दिल्ली। ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी का मानना है कि 2019 में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। 2017 में भारत ने फ्रांस को पीछे छोड़कर छठा स्थान हासिल किया था। वैश्विक अर्थव्यवस्था की रैंकिंग में अमेरिका पहले नंबर पर है, चीन दूसरे और जापान तीसरे स्थान पर काबिज है। फिलहाल ब्रिटेन पांचवें पायदान पर है, लेकिन ब्रेग्जिट से बाहर निकलने का फैसला उसकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाल रहा है।
रैंकिंग को लंबे समय तक कायम रख सकता है भारत
पीडब्ल्यूसी के मुताबिक- फ्रांस और ब्रिटेन की आबादी लगभग बराबर है, वहीं विकास के मामले में भी दोनों एक जैसे हैं। इस वजह से दोनों एक दूसरे को अक्सर पछाड़ते रहते हैं, लेकिन 5वे नंबर पर आने के बाद भारत अपनी रैंकिंग को लंबे समय तक कायम रख सकता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में कोई बड़ी उथलपुथल न हुई और तेल की आपूर्ति ठीक रही तो 2019-20 में भारत की जीडीपी 7.6% रहने के आसार हैं। इस दौरान ब्रिटेन की जीडीपी ग्रोथ 1.6%, फ्रांस की 1.7% रहने की संभावना है।
पीडब्ल्यूसी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री माइक जैकमेन का कहना है कि मौजूदा समय में भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। जनसंख्या के साथ अनुकूल जनसांख्यिकी भारत को मजबूती प्रदान करती है।
उनका कहना है कि भारत की नई सरकार की नीतियां और जीएसटी विकास दर को तेज करने में सहायक होंगी। दूसरी तरफ 2018 और 2019 में ब्रिटेन की विकास दर में कमी देखी गई। यूरो के मुकाबले पाउंड के कमजोर रहने से भी उसे नुकसान होगा।
2019 में वैश्विक स्तर पर मंदी रहने के आसार
पीडब्ल्यूसी के विशेषज्ञ मानते हैं कि 2019 में वैश्विक स्तर पर मंदी रहने के आसार हैं, क्योंकि जी-7 देशों की विकास दर औसत ही दिखाई दे रही है। एजेंसी का मानना है कि 2016 के आखिर से 2018 की शुरुआत के बीच वैश्विक स्तर पर जो तेजी दिखाई दी थी वो अब थम चुकी है। विश्व की सारी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की जीडीपी 2019 में औसत के आसपास रहने के आसार दिख रहे हैं।
2017 में विश्व की टॉप 7 अर्थव्यवस्थाएं
किस पायदान पर | देश | जीडीपी (लाख करोड़ रु में) |
1 | अमेरिका | 1381 |
2 | चीन | 871 |
3 | जापान | 347 |
4 | जर्मनी | 261 |
5 | यूके | 186 |
6 | भारत | 184 |
7 | फ्रांस | 183 |
वैश्विक उथलपुथल का भारत को फायदा लेना चाहिए: सुरेश प्रभु
केंद्रीय वाणिज्य, नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु का कहना है कि आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर उथलपुथल मचने के आसार हैं। इसका फायदा भारत को उठाना चाहिए। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल सम्मिट में उन्होंने कहा कि अभी निर्माण और सेवा क्षेत्र के साथ कृषि को मजबूत बनाने पर फोकस किया जा रहा है। भारत को अपना निर्यात दोगुना करना होगा।
अफ्रीका और लैटिन अमेरिका देशों में भारत के लिए अच्छी संभावनाएं हैं। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार अपने घरेलू विमानन क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए 4 अरब 63 करोड़ का निवेश करके 100 नए एयरपोर्ट बनाने जा रही है।
प्रभु ने कहा कि अगले 7-8 साल में भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर (356 लाख करोड़ रुपए) की हो सकती है। साथ ही 2035 के पहले हमारी इकोनॉमी के 10 ट्रिलियन डॉलर (712 लाख करोड़ रुपए) होने की संभावना है। मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर को निर्यात को सपोर्ट करना चाहिए। इससे गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। आज हमारे पास एक्सपोर्ट बढ़ाने की बड़ा मौका है।