नई दिल्ली। ई-व्हीकल पॉलिसी को अंतिम रूप देने से पहले दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिव वीइकल्स में लगने वाली बैटरी की लागत कम करने के लिए पहल शुरू की है। सरकार ने इससे जुड़े सुझावों और नए रिसर्च के साथ स्टेहोल्डर्स और कंपनियों को आमंत्रित किया है। इसकी वजह यह है कि वर्तमान में इलेक्ट्रिल व्हीकल की पूरी कीमत में आधी कीमत सिर्फ इसमें लगने वाली बैटरी की होती है।
दिल्ली सरकार ने मंगलवार को स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन मीटिंग में कहा कि वह प्रदूषण कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही दावा किया कि ई-व्हीकल पॉलिसी इसे वास्तविकता बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
इस मीटिंग में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर वर्षा जोशी मौजूद रहीं। गहलोत ने कहा कि वर्तमान में इलेक्ट्रिक व्हीकल आम लोगों की पहुंच से काफी दूर हैं।
उन्होंने कहा, ‘अभी वाहन की आधी कीमत बैटरी पर खर्च होती है। अगर हम वास्तव में इलेक्ट्रिक व्हीकल को सस्ता बनाना चाहते हैं, तो बैटरी की लागत कम करनी होगी। इसके लिए कुछ नए इनोवेशन की जरूरत है।
यह स्पष्ट है कि इसके लिए हम सिर्फ सब्सिडी पर निर्भर नहीं रह सकते हैं।’ गहलोत ने कहा कि 1000 इलेक्ट्रिक बसें जल्द ही खरीदी जाएंगी। अगला चैलेंज विश्वसनीय चार्जिंग इंन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण है।
‘अब हम इलेक्ट्रिक बसें ही खरीदेंगे’
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार को ई-व्हीकल पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने में करीब एक साल लगा है। इसके लिए दूसरे देशों की ऐसी ही पॉलिसी का अध्ययन किया गया है। मीटिंग में केजरीवाल ने कहा, ‘हम प्रदूषण कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इसके लिए हम कड़े कदम उठाने में भी पीछे नहीं रहे हैं, जैसे हमने ऑड-ईवन स्कीम शुरू की। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार करना अब हमारे लिए बड़ा लक्ष्य है। अगर तकनीकी और वित्तीय रूप से ई-बसें उम्मीदों पर खरा उतरती हैं, तो अब हम ऐसी ही बसें खरीदेंगे।’
स्टेकहोल्डर्स से मिले इनपुट को करेंगे शामिल
मीटिंग में मौजूद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर जोशी ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स और समाज के विभिन्न सदस्यों से मिले इनपुट पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह एक ड्राफ्ट पॉलिसी है और अभी सिर्फ शुरुआत है। यह पॉलिसी तभी पूरी होगी, जब हम सभी स्टेकहोल्डर्स से मिले इनपुट को शामिल करेंगे। हम सुझावों का स्वागत करते हैं।’
बिना बैटरी के बेचे जा सकते हैं इलेक्ट्रिक वीइकल
हालांकि, एक्सपर्ट्स ने लागत कम करने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी एफिशिएंसी की जरूरत पर जोर दिया। आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर अशोक झुंझुनवाला ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल भविष्य हैं, लेकिन भारत में इन्हें सस्ता बनाने की जरूरत है। एनर्जी एफिशिएंसी ज्यादा होगी तो बैटरी की साइज छोटी हो सकती है।
बैटरी की लागत बहुत ज्यादा है और इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए उन्हें बिना बैटरी के बेचा जा सकता है। इससे उनकी लागत सामान्य वाहन के बराबर या उससे कम भी हो सकती है। बैटरी को एनर्जी ऑपरेटर्स प्रदान कर सकते हैं, जिसे किलोमीटर के हिसाब से लीज पर दिया जाए।’
ड्राफ्ट पॉलिसी में क्या है
- ई-व्हीकल के लिए सभी टैक्स और फीस माफ किए जाएंगे।
- दिल्ली में कहीं भी तीन किलोमीटर के अंदर की रेंज में बैटरी चार्जिंग और स्वैपिंग पॉइंट।
- इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन खरीदने पर 22,000 रुपये तक की सब्सिडी।
- बीएस-2 और बीएस-3 एमिशन नॉर्म्स वाले पुराने दोपहिया वाहनों पर 15,000 रुपये तक का स्क्रैपिंग इंसेन्टिव।
- दिल्ली में ई-ऑटोरिक्शा के लिए ओपन परमिट सिस्टम।
- शुरुआती 10 हजार चार्जिंग पॉइंट के इंस्टॉलेशन पर प्रत्येक चार्जिंग पॉइंट के लिए 100 पर्सेंट तक सब्सिडी, जो 30,000 रुपये तक होगी।