मुंबई। छह साल पहले के मुकाबले इस साल आयोजित होने वाले कैट 2018 में महिला कैंडिडेट्स की संख्या 50 फीसदी ज्यादा थी। आईआईएम के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा के लिए इस साल 84,350 महिला कैंडिडेट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था जबकि 2013 में 56,409 महिला कैंडिडेट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था। 2017 के बाद से कुल पंजीकरण में महिला कैंडिडेट्स की संख्या में 50 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।
इस साल कुल 2.41 लाख छात्रों ने परीक्षा दी जिनमें महिला कैंडिडेट्स की संख्या 78,009 थी। 2015 में महिला कैंडिडेट्स के दाखिले में बड़ा उछाल आया था। पिछले साल के 69,176 के मुकाबले उस साल 76,704 महिला कैंडिडेट्स ने दाखिला लिया था। 2015 में कुल पंजीकरण की संख्या भी 20,000 से ज्यादा बढ़ गई थी।
कैट के इस बार आयोजक आईआईएम कलकत्ता की सुमंता बसु ने बताया, ‘आईआईएम क्लासरूम में विविधता को बढ़ाने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित कर रहा है। हम अपने संस्थान में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को दाखिला देना चाहते हैं।’ अन्य आईआईएम भी क्लासों की विविधता को बढ़ाने के लिए महिला और गैर इंजिनियरों के लिए सीट आरक्षित कर रहे हैं।
आईआईएम-कोझिकोड पहला संस्थान था जिसने साल 2013 में महिला कैंडिडेट्स के लिए सीट रिजर्व की थी। आईआईएम ने समय के साथ अपनी पात्रता शर्तों में भी बदलाव किया है। सभी आईआईएम में कैट को अलग-अलग वेटेज दिया जाता है।
कैंडिडेट्स की ग्रुप डिस्कशन, पर्सनल इंटरव्यू और लिखने की योग्यता के लिए शॉर्टलिस्टिंग के समय 10वीं और 12वीं के स्कोरों को भी शामिल किया जाता है। ज्यादातर आईआईएम क्लासरूम में लैंगिक विविधता के लिए शॉर्टलिस्टिंग करते समय 5 फीसदी अतिरिक्त पॉइंट्स भी देते हैं। इस सबका मकसद यही है कि लड़कियां ज्यादा से ज्यादा दाखिला लें।