थोक मंडियों में टमाटर लागत से भी नीचे 2 रुपये किलो बिके

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मुंबई। किसानों के सामने एक बड़ी चिंता खड़ी हो गई है। टमाटर के दाम खेतों से मंडियों तक की ढुलाई लागत से भी नीचे जा चुके हैं। नए सीजन की फसल कटाई की तेज आवक के कारण ऐसा हो रहा है।

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में नासिक जिले की बेंचमार्क पिंपलगांव मंडी में अच्छी गुणवत्ता वाला टमाटर 1.50-2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बिका है।

दामों के इस स्तर ने किसानों को चिंता में डाल दिया है क्योंकि खेतों से मंडी तक की ढुलाई लागत ही इससे ज्यादा है। हालांकि लासलगांव मंडी में निर्यात गुणवत्ता वाले टमाटर का भाव 7.55 रुपये प्रति किलो पर चल रहा है जो औसत किस्म के टमाटर के मुकाबले कुछ फायदा दिला रहा है। इससे इस मंडी में टमाटर की मॉडल कीमतें 5.75 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं।

शुक्रवार को दिल्ली में टमाटर की मोडल कीमतों में 30 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है और भाव 10.56 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रहा है जो अगस्त में 15.89 रुपये प्रति किलोग्राम था। टमाटर की कीमतों में इस गिरावट ने व्यापारियों और उपभोक्ताओं के उलट किसानों को काफी मुश्किल में डाल दिया है।

बीज, उर्वरक और श्रम जैसी बढ़ती लागत के कारण किसान अगले सीजन में टमाटर की खेती के प्रति उदासीन लग रहे हैं। हालांकि पर्याप्त भंडारण सुविधा की कमी और किसानों की आर्थिक दशा की वजह से उनकी स्टॉक करने की क्षमता और खराब हो गई है।

पिंपलगांव की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के निदेशक अतुल शाह ने कहा कि टमाटर की तेज आवक के कारण इस महीने में अब तक इसकी कीमतों में दो-तिहाई और पिछले एक सप्ताह में आधे से अधिक की कमी आ चुकी है। किसान अपनी उपज को लेकर बेहाल हैं जिससे खेत से मंडी तक की ढुलाई लागत भी नहीं निकल पा रही है।

पिंपलगांव में टमाटर की आवक गुरुवार को उछलकर इस सीजन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। उधर मुंबई के उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने वाली वाशी एपीएमसी में औसत गुणवत्ता वाले टमाटर के दाम लुढ़कर चार रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गए जो पहले 12 रुपये प्रति किलोग्राम थे।

शुक्रवार को इसकी मॉडल कीमतें भी गिरकर पांच रुपये प्रति किलाग्राम पर आ गईं जबकि 1 अगस्त को कीमतें 13 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। वाशी में एपीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश भर में नए सीजन की फसल काटी जा रही है।

बेंगलूरु समेत सभी प्रमुख उत्पादक केंद्रों से आपूर्ति हो रही है। चार रुपये प्रति किलोग्राम की मौजूदा प्रचलित कीमतों पर किसानों को 1-2 रुपये प्रति किलोग्राम की आमदनी हो रही है जिससे बीज और श्रम की लागत भी नहीं मिल पाती है।

टमाटर किसानों के लिए कीमतों की स्थिति बहुत खराब चल रही है। हालांकि उपभोक्ता स्वाद बढ़ाने वाली सब्जी के तौर पर प्रयुक्त किए जाने वाले टमाटर के लिए 16-20 रुपये प्रति किलाग्राम के दाम चुका रहे हैं।

गौण सब्जी होने के बावजूद ताजी और प्रसंस्कृत सब्जी पसंद करने वाले उपभोक्ताओं की ओर से टमाटर की मांग बढ़ रही है। इसके अलावा चटनी बनाने के लिए भी भारत में टमाटर की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है।

वाशी के एक थोक विक्रेता बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि अभी टमाटर खरीद में कॉरपोरेट क्षेत्र ने प्रवेश नहीं किया है। आमतौर पर बड़े कॉरपोरेट लंबे समय तक टिकने वाली किस्म की खरीद के लिए बाजार में सितंबर में प्रवेश करते हैं।

फिलहाल बाजार में बेची जाने वाली शुरुआती फसल कम समय तक टिकने वाली है। इस से किसानों के पास व्यापारियों कोो औनेपौने दाम पर बेचने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।