नई दिल्ली। साइबर हमलों का नया निशाना मोबाइल एप बन रहे हैं। गृह मंत्रालय को मिली एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि करीब 70 फीसदी साइबर हमले मोबाइल एप्लीकेशन पर हो रहे हैं। जबकि ऐसे एप या फिशिंग (फर्जी ईमेल या लिंक या क्लोनिंग) के जरिये धोखाधड़ी के करीब 28 फीसदी मामले हुए हैं। केंद्र सरकार को मिली एक नई रिपोर्ट में यह सामने आया है।
इस रिपोर्ट में सुरक्षा एजेंसियों ने मोबाइल एप में सुरक्षा फीचर्स और फिशिंग की आशंका को लेकर आगाह किया है। गृहमंत्रालय ने विभिन्न एजेंसियों से मिल रही रिपोर्ट का संज्ञान लिया है। संबंधित एजेंसियों व मंत्रालयों से कहा है कि वे एप पर साइबर हमलों से बचाने के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंधों का इंतजाम करें।
ऐसे संदिग्ध एप के जरिये हैकर सूचनाएं जुटा रहे हैं और फिर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। एजेंसियों ने निजी सूचनाओं और डाटा चोरी के दुरुपयोग की आशंका भी जाहिर की है। लोगों में जागरूकता फैलाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
इस्तेमाल के साथ बढ़ रहा जोखिम
सरकार के सूत्रों ने माना है कि मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल के साथ एप पर साइबर हमले भी बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय धोखाधड़ी के 71 फीसदी मामले मोबाइल ब्राउजर और मोबाइल एप की सुरक्षा में सेंधमारी के जरिये हुए हैं।
धोखाधड़ी के अलग-अलग तरीके
सूत्रों ने कहा कि फिशिंग यानी वायरस से लैस ईमेल के जरिये करीब 41 फीसदी धोखाधड़ी हो रही है। जबकि ऐसे करीब दस फीसदी नुकसानदेह एप हैं, जिनके माध्यम से 28 फीसदी साइबर हमलों को अंजाम देने के मामले सामने आए हैं।
भारत खतरे वाले बड़े देशों में
भारत ऐसे दस देशों में शामिल हैं जहां मोबाइल एप की फिशिंग, नुकसानदेह एप और कम सुरक्षा के कारण मोबइल एप को निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन सुरक्षा फीचर्स और सावधानी से खतरों को कम किया जा सकता है।
सोशल मीडिया भी निशाने पर
हैकर सोशल मीडिया के जरिये भी लोगों या सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हैं। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि पर भविष्य की जानकारी देने या आप की शक्ल किससे मिलती है, जैसे एप सक्रिय रहते हैं, जिन पर भरोसा करना कतई सुरक्षित नहीं है। ये आपके प्रोफाइल से लेकर बैंकिंग डिटेल तक में सेंध लगा सकते हैं।
- ये सावधानियां बरतें
- जब आप कोई एप डाउनलोड करते हैं तो जरूर ध्यान रखें कि किन चीजों की इजाजत मांगी जा रही है। कभी भी किसी एप को एडमिन राइट यानी नियंत्रण का अधिकार न दें। .
- किसी वेबसाइट पर जाने से पहले जांच ले कि उसके डोमेन नेम की शुरुआत में HTTPS है या नहीं। HTTPS बताता है कि साइट पर लेनदेन सुरक्षित है।.
- अगर आपके फोन में एंटी वायरस नहीं है तो उस पर फोन बैंकिंग का इस्तेमाल न करें। अगर फोन हैक होता है या वायरस अटैक होता है तो अहम जानकारी लीक हो सकती है।.
- एप या लिंक किसी विश्वसनीय जगह से ही डाउनलोड करें। थर्डपार्टी स्टोर से एप डाउनलोड करने से बचें और संदिग्ध लिंक को कभी नहीं खोलें। .