नई दिल्ली। IIT डायरेक्टर्स ने कोचिंग सेंटरों पर पलटी मारी। इस बार वह कोचिंग सेंटरों के समर्थन में बोले हैं। एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में कुछ प्रतिष्ठित आईआईटी के डायरेक्टर्स ने कहा कि कोचिंग संस्थानों का विरोध ठीक नहीं है।
वे कम से कम छात्रों को ‘रचनात्मक’ बनाए रखते हैं और उन्हें ‘ऐकडेमिक्स’ से जोड़े रखते हैं। इससे आगे चलकर उन्हें किसी न किसी रूप में फायदा होता है। मिनिस्ट्री के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जाने-माने आईआईटी के कम से कम तीन डायरेक्टर्स ने यह बात कही और वे JEE एग्जाम में बदलाव के भी खिलाफ हैं।
आईआईटी काउंसिल की मीटिंग में JEE में ‘सुधार’ करके उसे ‘अधिक वैज्ञानिक’ और ‘कोचिंग सेंटर्स पर निर्भरता घटाने’ का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसे सरकार का भी समर्थन था। सभी आईआईटी डायरेक्टर्स ने सर्वसम्मति से उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
इस प्रस्ताव के खिलाफ यह भी तर्क दिया गया था कि युवा छात्रों का लक्ष्यहीन और बेरोजगारी की वजह से अंधेरे में खो जाने के बजाय कोचिंग सेंटर जैसी अकादमिक गतिविधियों में व्यस्त होना ज्यादा बेहतर है। सभी आईआईटी डायरेक्टर्स इससे काफी हद तक सहमत दिखे।
आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर वी वेणुगोपाल राव ने बताया, ‘कोचिंग के प्रभाव को लेकर चिंता जताई जा रही है। यहां कई कोचिंग सेंटर्स में अच्छी फैकल्टी हैं। इनके साथ बस एक ही समस्या है कि ये काफी ज्यादा फीस लेती हैं। इसलिए ज्यादातर स्टूडेंट्स की पहुंच इन तक नहीं हो पाती।’ कुछ लोगों ने दलील दी कि अगर स्टूडेंट्स को आईआईटी में ऐडमिशन नहीं मिलता है तो कोचिंग की बदौलत उसे किसी और अच्छे इंस्टिट्यूट में जगह मिल सकती है।
आईआईटी गुवाहाटी के डायरेक्टर गौतम विश्वास का कहना है, ‘कुछ डायरेक्टर्स ने यह बात कही थी। मैंने इस चीज को महसूस किया है कि बेरोजगारी की समस्या काफी ज्यादा है। इस वजह से कई बार स्टूडेंट्स बहक जाते हैं या फिर उनका दिमागी संतुलन खराब हो जाता है।
हालांकि, अगर वे अपनी ऐकडेमिक स्किल का उपयोग कोचिंग सेंटर्स में करें तो यह उनके लिए ज्यादा बेहतर रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘यह बात सही है कि हर कोई आईआईटी में आना चाहता है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता तो कोचिंग की बदौलत कई छात्र दूसरे अच्छे संस्थान में सीटें पा सकते हैं।’
इससे पहले आईआईटी डायरेक्टर्स और कई फैकल्टी मेंबर्स ने कहा था कि JEE कोचिंग की फलती-फूलती इंडस्ट्री खतरनाक है और यह ऐडमिशन सिस्टम को कमजोर करती है। यह देश के सबसे बेहतरीन इंजिनियरिंग इंस्टिट्यूट्स में असल प्रतिभाओं के बजाय रट्टा मारने वाले स्टूडेंट्स को भेजती है।
हालांकि, 20 अगस्त को आईआईटी काउंसिल की मीटिंग में कुछ डायरेक्टर्स ने कोचिंग को लेकर अलग तरह की राय जाहिर की। यह उनकी पहले की राय से बिल्कुल अलग थी।