नई दिल्ली। कम से कम 60 कंपनियों पर हफ्ते भर बाद दिवालिया कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इन कंपनियों पर बैंकों के 3.5 से 4 लाख करोड़ के कर्ज हैं। रिजर्व बैंक ने फंसे कर्ज यानी एनपीए के जल्दी समाधान के लिए 12 फरवरी को नया सर्कुलर जारी किया था।
इसमें बैंकों को 180 दिनों का समय दिया गया था। नया नियम 1 मार्च से लागू हुआ और 180 दिनों का समय 27 अगस्त को पूरा हो जाएगा। इसके बाद बैंकों को इनके खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू करनी पड़ेगी। रिजर्व बैंक ने पिछले साल दिवालिया कार्रवाई के लिए बैंकों को 40 कंपनियों की सूची भेजी थी। इन पर करीब चार लाख करोड़ का कर्ज बकाया था।
सूत्रों के मुताबिक पहली मार्च को एक दिन से ज्यादा डिफॉल्ट करने वाली 75 कंपनियों के साथ बात जारी है। पर हफ्ते भर में बहुत कम कंपनियों का समाधान निकलने की उम्मीद है। पहली मार्च को 81 कंपनियों ने डिफॉल्ट किया था। इनमें 38 पावर सेक्टर की हैं। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के अनुसार बिजली कंपनियों पर 2.6 लाख करोड़ कर्ज बकाया है।
रिजर्व बैंक ने फरवरी में नियम बदले थे
अगर कंपनी कर्ज लौटाने में एक दिन का भी डिफ़ॉल्ट करती है तो बैंक को समाधान के लिए तत्काल कदम उठाना पड़ेगा। 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज वाली कंपनी के कर्ज का समाधान 180 दिनों में नहीं निकला तो बैंक को उसके खिलाफ एनसीएलटी में याचिका दायर करनी पड़ेगी।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में 701 मामले पहुंचे हैं । आरबीआई के अनुसार इनमें से 525 पर कार्रवाई चल रही है।
बैंकों के घाटे में बढ़ोतरी होगी
दिवालिया कार्रवाई शुरू होने से प्रोविजनिंग बढ़ने से बैंकों के मुनाफे पर भी खासा असर पड़ेगा। रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक इन खातों में सिक्योर्ड लोन के 50% और अनसिक्योर्ड लोन के 100% रकम के बराबर प्रोविजनिंग जरूरी है।
अनिल अंबानी की आरकॉम और रिलायंस डिफेंस भी इनमें शामिल
जिन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो सकती है उनमें अनिल अंबानी समूह की रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग (अब रिलायंस नेवल), पुंजलॉयड, बजाज हिंदुस्तान, मुंबई रेयान, जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर, रोल्टा इंडिया, श्रीराम ईपीसी, ऊषा मार्टिन, एस्सार शिपिंग और गीतांजलि जेम्स शामिल हैं। गीतांजलि जेम्स नीरव मोदी के मामा मेहुल चौकसी की कंपनी है।
डिफॉल्ट करने वाली 47% बिजली कंपनियां
81 कंपनियों ने 1 मार्च को डिफॉल्ट किया
38 कंपनियां इनमें पावर सेक्टर की हैं, इन पर 2.6 लाख करोड़ का कर्ज
43 कंपनियां नॉन-पावर सेक्टर की हैं