मुंबई। बीमा कंपनियां ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसी में गैस्ट्रोएंटेराइटिस, कोलाइटिस और दिल से जुड़ी बीमारियों के क्लेम घटाने के लिए कैफेटेरिया और वर्कप्लेस की जांच करने लगी हैं। वे यह काम वेलनेस प्रोग्राम के तहत कर रही हैं। एक कंपनी के परिसर में एक कर्मचारी को हार्ट अटैक आने के बाद आईसीआईसीआई लोंबार्ड ने वेलनेस ऑडिट किया।
इसमें उसने पाया कि वर्क एरिया में ऑक्सीजन लेवल कम था। इसी तरह कंपनियां कैफेटेरिया ऑडिट और अर्गोनॉमिक्स ऑडिट कर रही हैं ताकि फूड सेफ्टी, सर्व किए जानेवाले फूड की न्यूट्रिशनल वैल्यू के अलावा मांसपेशियों और स्केलेटन से जुड़े मसलों का आकलन किया जा सके।
आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस के हेड (मोटर ऐंड हेल्थ-अंडरराइटिंग) अमिताभ जैन ने कहा, ‘हमने वर्कप्लेस के ऑडिट में पाया है कि पार्टिकुलेट मैटर का लेवल ज्यादा था और ऑक्सीजन लेवल कम था, जिसके चलते सांस और दिल से जुड़ी बीमारियों के चांस बढ़ गए। हमने ऐसे मामलों में ऑफिस के रखरखाव और वेंटिलेशन के बारे में कुछ बदलावों का सुझाव दिया।’
कैफेटेरिया की जांच में बीमा कंपनियां साफ-सफाई पर गौर करती हैं और यह देखती हैं कि खाना तैयार करने और सर्व करने में फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की गाइडलाइंस का पालन हो रहा है या नहीं। वे खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले पानी, कच्ची खाद्य सामग्री की खरीदारी की प्रक्रिया की जांच करती हैं और खाद्य सामग्री टेस्ट करती हैं। फंगस, मोल्ड्स और बैक्टीरिया पर नजर रखने के लिए वे किचन का मुआयना भी करती हैं।
जेएलटी इंडिपेंडेंट इंश्योरेंस ब्रोकर्स के डायरेक्टर (बेनेफिट सॉल्यूशंस) प्रवाल कलीता ने कहा, ‘क्लेम ट्रेंड्स की हमारी ऐनालिसिस से पता चलता है कि इंश्योरेंस में एंप्लॉयीज के 8 पर्सेंट से ज्यादा क्लेम पाचन संबंधी विकारों से जुड़े होते हैं। इस कैटिगरी में ऐवरेज क्लेम करीब 42,000 रुपये का होता है।’
आईटी और आईटी एनेबल्ड सर्विसेज से जुड़े ऑफिस में बीमा कंपनियों का फोकस कैफेटेरिया स्टाफ को खासतौर से स्टोरेज टेक्नीक, सर्विसिंग स्किल और हाइजीन स्टैंडर्ड्स की ट्रेनिंग देने पर रहता है। कलीता ने कहा कि ऐसा ऑडिट हो जाने पर अधिकतर कंपनियां अपने मेन्यू में बदलाव करती हैं और साफ-सफाई के पहलू पर गौर करती हैं। उन्होंने कहा, ‘वे इन बातों को अपने वेलनेस प्रोग्राम में शामिल करती हैं और सुधार के कदम उठाती हैं।’
अर्गोनॉमिक्स से जुड़े ऑडिट में कंप्यूटर्स की पोजिशनिंग, कुर्सियों की क्वॉलिटी और उनकी पोजिशन आदि पर गौर किया जाता है। इसकी वजह मसक्युर स्केलेटन प्रॉब्लम्स को लेकर क्लेम बढ़ने का ट्रेंड है।
ग्रुप हेल्थ में सरकारी योजनाएं भी शामिल हैं। इसका आकार 18,387 करोड़ रुपये का है जो टोटल हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री के करीब 40 पर्सेंट के बराबर है जबकि टोटल इंडस्ट्री प्रीमियम 37,897 करोड़ रुपये का है। हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर सालाना 20 पर्सेंट से ज्यादा की रफ्तार से बढ़ रहा है।