कोटा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से तैयार की गई नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की वर्ष 2018 की रैंकिंग में कोटा यूनिवर्सिटी टॉप 200 यूनिवर्सिटी की सूची से बाहर हो गई। यह रैंकिंग मंगलवार दोपहर को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित समारोह में की गई।
पिछले दो साल से कोटा यूनिवर्सिटी ने टाॅप 200 में जगह बना रखी थी। साल 2016 में 78वीं रैंक हासिल करके टॉप 100 क्लब यूनिवर्सिटी शामिल हुई थी, लेकिन इस पर भी सवाल उठे थे। इसके बाद यूनिवर्सिटी की परफॉरमेंस गिरती चली है। साल 2017 में यूनिवर्सिटी की रैंक 150 से 200 के बैंड में आई थी।
इस साल तो यूनिवर्सिटी टॉप 200 से ही बाहर हो गई है। इससे पहले नैक की ग्रेडिंग ने भी यूनिवर्सिटी के कामों की हकीकत को बयां किया था। खराब ग्रेडिंग के कारण यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता पर खतरा मंडरा ही रहा है और अब इस रैंकिंग ने यूनिवर्सिटी को और भी पीछे कर दिया है।
इन 5 मापदंडों पर परखा यूनिवर्सिटी का काम
यह रहे कारण : टॉप 200 से बाहर होने का मुख्य कारण स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति का रहा। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के आंतरिक मामलों ने भी पीछे ही धकेला है। इसमें काम से सही विभाजन नहीं होना, सभी को अवसर प्रदान नहीं करना, कुछ लोगों ही यूनिवर्सिटी के प्रमुख पदों पर लंबे समय तक रखना रहा।
एमएनआईटी आगे, आईआईटी जोधपुर पीछे
एनआईआरएफ रैंकिंग में राजस्थान से जुड़ा एक और तथ्य भी शामिल आया है। आईआईटी जोधपुर 54वीं रैंक पर है, जबकि एमएनआईटी जयपुर को 52वीं रैंक मिली है। बिट्स पिलानी को 17वीं, बनस्थली विद्यापीठ को 64वीं, राजस्थान यूनिवर्सिटी 100 से 150 के बैंड में आई है।
कोटा के लिहाज यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि आईआईटी मद्रास को इंजीनियरिंग संस्थानों में टॉप रैंक दी गई है। टॉपर्स की च्वॉइस आईआईटी मुंबई को दूसरा व दिल्ली को तीसरा स्थान हासिल किया है। एनआईटी में सबसे अच्छी 11वीं रैंक त्रिचनापल्ली की आई है।