नई दिल्ली । बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ढ़ील दी है। सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसद एफडीआई को मंजूरी दे दी है। साथ ही कंस्ट्रक्शन और एविएशन सेक्टर में भी एफडीआई नियमों को आसान किया गया है।
केंद्र सरकार की ओर से एफडीआई नियमों में ढ़ील को आर्थिक सुधारों की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है। इस कदम से जहां एक ओर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में सुधार आने की उम्मीद है वहीं दूसरी ओर इस फैसले से एफडीआई के बड़े प्रवाह, निवेश को प्रोत्साहन, आय एवं रोजगार को बढ़ावा देगा।
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक सिंगल ब्रांड रिटेल में अब ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसद तक एफडीआई निवेश किया जा सकेगा। इस खबर के बाद शेयर बाजार में सिंगल ब्रांड रिटेल से जुड़ी कंपनियों के शेयर में तेजी आ गई। हालांकि सरकार के इस फैसले पर त्वरित टिप्पणी में व्यापारियों के संगठन कन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस पर नाखुशी जाहिर की है।
कैबिनेट में हुए अन्य फैसलों में सरकारी एयरलाइन्स एयर इंडिया में विदेशी एयरलाइन्स की ओर से 49 फीसद निवेश को मंजूरी दी गई है।यह निवेश एयर इंडिया में अप्रूवल रुट (अनुमोदन मार्ग) के जरिए किया जा सकेगा, जिसकी अधिकतम सीमा 49% तक होगी।
कैट की प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले पर देश के व्यापारियों ने नाखुशी जाहिर की है। कन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ऑटोमैटिक रुट से सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसद एफडीआई की मंजूरी के फैसले कड़ा विरोध किया है।संगठन का मानना है कि यह भारत के खुदरा व्यापार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आसान प्रवेश की सुविधा प्रदान करेगा।
कैट की ओर से दिये गए वकत्व्य में यह भी कहा गया है कि यह फैसला भाजपा के चुनाव वादे का भी उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह देश के छोटे कारोबारियों के एक गंभीर मसला है।
संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि यह दुखद बात है कि मौजूदा खुदरा व्यापार के कल्याण, उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए नीतियों को तैयार करने के बजाय भारत सरकार की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत के खुदरा व्यापार पर नियंत्रण और हावी होने के लिए रास्ता तैयार करने में अधिक दिलचस्पी है।