नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने मई 2024 में देसी चना के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया था और इसकी समय सीमा को क्रमिक रूप से बढ़ाते हुए 31 मार्च 2025 तक निर्धारित किया था। शुल्क मुक्त आयात की अवधि समाप्त होने से पूर्व ही सरकार ने इस पर 10 प्रतिशत का मूल सीमा शुल्क (बेसिक कस्टम ड्यूटी) लगाने का निर्णय लिया है जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो जाएगा।
घरेलू प्रभाग में चना के नए माल की जोरदार आवक होने लगी है और सरकार केन्द्रीय बफर स्टॉक के लिए विशाल मात्रा में इसकी खरीद करना चाहती है। अभी तक विभिन्न उत्पादक राज्यों में करीब 28 लाख टन चना की खरीद की मंजूरी दी जा चुकी है। इसकी खरीद 5650 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होती है।
सरकार को अंदेशा था कि यदि चना पर ऊंची दर का सीमा शुल्क लगाया गया तो इसका आयात लगभग बंद हो सकता है और तदनुरूप घरेलू बाजार भाव बढ़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर पहुंच सकता है जिससे केन्द्रीय बफर स्टॉक के लिए इसकी खरीद में कठिनाई होगी।
पिछले साल चना का दाम ऊंचे स्तर पर होने से इसकी सरकारी खरीद बहुत कम हुई थी इसलिए सरकार प्रभावी ढंग से बाजार हस्तक्षेप योजना को लागू नहीं कर सकी और अंततः घरेलू बाजार भाव को नियंत्रित करने के लिए इसे मई 2024 में इसके आयात को शुल्क मुक्त करने का निर्णय लेना पड़ा।
इससे पूर्व मसूर पर भी 10 प्रतिशत का ही मूल आयात शुल्क लगाने की घोषणा की गई थी। यह 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क सामान्य तथा ‘मैनेजेबल’ माना जा रहा है और विदेशों से देसी चना तथा मसूर के आयात पर इसका व्यापक गंभीर असर पड़ना मुश्किल लगता है। देसी चना का आयात ऑस्ट्रेलिया एवं अफ्रीका से होता है।