नई दिल्ली। #digital platforms Services: डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध वस्तु और सेवाओं के मूल्य पर नजर रखने के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (मोस्पी) ई-कॉमर्स मूल्य सूचकांक पेश करने पर विचार कर रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। नए सूचकांक में उन वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के सांख्यिकीय अनुमान होंगे, जिनकी खरीदारी लोग ई-कॉमर्स फर्मों के माध्यम से करते हैं।
सूत्रों ने कहा, ‘यह मौजूदा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर फैक्टरियों से निकलने वाले माल की महंगाई मापने की तर्ज पर होगा। वे हमें उपभोक्ताओं और उद्योग द्वारा खरीदे जाने वाले सामान का क्रमशः तुलनात्मक मूल्य बताएंगे।
सूचकांक के लिए इन सूचकांकों के समान ही वस्तुओं और सेवाओं का बास्केट बनाया जाएगा।’ यह इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ग्लोबल डेटा के ई-कॉमर्स एनालिटिक्स के मुताबिक भारत का ई-कॉमर्स बाजार 2024 के 12.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2028 तर 24.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है।
वहीं दूसरी तरफ, भारत में इंटरनेट कनेक्शन जून 2023 में 89.5 करोड़ थे, जबकि स्मार्टफोन की संख्या 2025 तक बढ़कर 1.1 अरब के आंकड़े को पार कर जाएगी। सूचकांक बनाने के मकसद से मोस्पी ने ई-कॉमर्स फर्मों से उनके द्वारा बेची जा रही विभिन्न वस्तुओं व सेवाओं के आंकड़े साझा करने को कहा है, जो उन्होंने पिछले कुछ महीने में बेचा है।
आंकड़े एकत्र करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को भी पत्र भेजा गया है। सूत्र ने कहा कि ‘हमने करीब 20 प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को आंकड़े साझा करने के लिए पत्र लिखा है। अब तक बहुत प्रगति नहीं हुई है, ऐसे में हम अलग साधनों से इसकी कवायद कर रहे हैं।’
सीपीआई की तरह ही नए ई-कॉमर्स मूल्य सूचकांक में खाद्य उत्पादों, परिधान और फुटवियर, हाउसिंग, ईंधन और लाइट, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनाेरंजन और आमोद-प्रमोद के अलावा अन्य चीजें शामिल होंगी, जिनकी बिक्री ई-कॉमर्स के माध्यम से होती है।