नई दिल्ली। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) ने कस्टम्स (एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ रूल्स ऑफ ओरिजिन अंडर ट्रेड एग्रीमेंट्स) रूल्स, 2020 में बदलाव किया है। अब इन नियमों में ‘सर्टिफिकेट’ शब्द की जगह ‘प्रूफ’ का इस्तेमाल किया जाएगा। यह बदलाव 18 मार्च से लागू हो गया है।
यह नियम उन आयातित वस्तुओं की कंट्री ऑफ ओरिजिन यानी मूल देश की पहचान तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं, जिनके लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) के तहत टैरिफ यानी शुल्क में छूट दी जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का यह कदम खासतौर पर चीन से आने वाले ऐसे आयात पर नजर रखने के लिए है जो ASEAN देशों, श्रीलंका और यूएई के रास्ते भारत लाए जाते हैं ताकि ऊंचे टैरिफ और ट्रेड पाबंदियों से बचा जा सके।
Nangia Andersen LLP के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (इनडायरेक्ट टैक्स) शिवकुमार रामजी ने बताया कि अब कस्टम अधिकारियों को ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। अब वे यह जांच सकते हैं कि जो सामान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत कम ड्यूटी पर आ रहा है, वह वाकई उसी देश का है या नहीं, जिससे भारत का समझौता है।
रामजी के मुताबिक, जांच में सामने आया है कि मोबाइल फोन, वाइट गुड्स, सेट-टॉप बॉक्स जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स चीन से भेजे जा रहे थे, लेकिन उन्हें वियतनाम, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे देशों के जरिए भारत लाया जा रहा था। इन पर FTA के तहत कम ड्यूटी ली जा रही थी, जबकि ये “रूल्स ऑफ ओरिजिन” के मानदंडों को पूरा नहीं करते थे।
एक मामले का जिक्र करते हुए रामजी ने बताया कि वियतनाम के Ho Chi Minh City में स्थित एक कंपनी चीन से तैयार सिल्क इंपोर्ट कर रही थी और उस पर ‘मेड इन वियतनाम’ (Made in Vietnam) का टैग लगाकर भारत एक्सपोर्ट कर रही थी। इस तरह वह वियतनाम और भारत के बीच के व्यापार समझौते का फायदा उठाकर कम टैरिफ पर सामान भेज रही थी।
रामजी के अनुसार, इन धांधलियों को देखते हुए भारतीय अधिकारियों ने अब इंपोर्टेड सामान की बारीकी से जांच शुरू कर दी है, ताकि फर्जी सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन के जरिए घरेलू इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाने वाली प्रतिस्पर्धा को रोका जा सके।