कोटा। आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने गुरुवार को समाज जनों को संबोधित करते हुए कहा कि हम संसार की चिंताओं में जीवन व्यतीत करते हैं, किंतु आत्मा के कल्याण का चिंतन नहीं करते। आत्म कल्याण का भाव रखना आवश्यक है, अन्यथा सब कुछ व्यर्थ है। उन्होंने बताया कि आत्म कल्याण का संबंध संयम से ही है।
मंत्री प्रकाश जैन और राजकुमार जैन ने जानकारी दी कि आज प्रातःकाल गुरुदेव के मुखारविंद से भगवान की शांतिधारा का आयोजन हुआ। सामूहिक रूप से गुरुदेव की पूजन की गई।गुरुदेव ने प्रेरणा दी कि इस जन्म में प्रत्येक व्यक्ति को यह इच्छा अवश्य रखनी चाहिए कि संयम अपनाकर दीक्षा ग्रहण करें, चाहे अंत समय में ही क्यों न हो। क्योंकि अंत भला तो सब भला।
उन्होंने यह भावना व्यक्त करने का निर्देश दिया, कि हे प्रभु, जो आपका अतीत था, वह मेरा वर्तमान बने और जो आपका वर्तमान है, वह मेरा भविष्य बने। उन्होंने यह भी कहा कि पुण्य की तिजोरी सदैव भरी रहनी चाहिए। व्यर्थ के भोग-विलास में अपने पुण्य को खर्च करने से बचना चाहिए।
धर्मसभा में सकल समाज के संरक्षक राजमल पाटौदी,अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जे.के. जैन, विमल वर्धमान, सुरेश चांदवाड़ सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।