Wheat: मिलर्स की मांग से एक पखवाड़े में गेहूं का भाव बढ़कर 3300 रुपए हुआ

0
7

मुम्बई। Wheat Price: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की दृष्टि से खाद्य बास्केट में सबसे ऊंचा वजन (हिस्सा) रखने वाले खाद्यान्न गेहूं का घरेलू बाजार भाव लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है।

मंडियों में आपूर्ति सीमित होने तथा मिलर्स- प्रोसेसर्स की मांग मजबूत रहने से पिछले दो सप्ताहों के दौरान गेहूं का भाव 8 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 3200/3300 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया जो दो वर्ष पूर्व के रिकॉर्ड मूल्य के बाद दूसरा सबसे ऊंचा स्तर है।

हालांकि सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने स्टॉक से मिलर्स- प्रोसेसर्स को गेहूं बेच रही है लेकिन इसकी मात्रा सीमित होने से मिलर्स को खुली मंडियों से इसकी भारी खरीद करने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

मंडियों में सीमित आवक के साथ खरिदारों के बीच प्रतिस्पर्धा होने से गेहूं की कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है। सरकारी गेहूं की खरीद भी न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) के सापेक्ष 600 रुपए प्रति क्विंटल तक के ऊंचे भाव पर हो रही है। बाजार पर इसका गहरा सकारात्मक असर पड़ रहा है। उत्पादकों एवं व्यापारियों के पास गेहूं का समुचित स्टॉक मौजूद नहीं है।

एक अग्रणी एग्री कॉमोडिटी मार्केट रिसर्च फर्म – आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान के अनुसार गेहूं का भाव उछलकर वर्तमान मार्केटिंग सीजन के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है क्योंकि सरकारी टेंडर में भी काफी ऊंचे दाम पर इसकी खरीद-बिक्री हो रही है। लेकिन मुनाफा वसूली के कारण चालू सप्ताह के दौरान इसमें थोड़ी गिरावट दर्ज की गई।

फिलहाल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा साप्ताहिक नीलामी के अंतर्गत एक लाख टन गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया जा रहा है और इसके 98-99 प्रतिशत भाग की खरीद हो रही है। उद्योग समीक्षकों को उम्मीद है कि सरकार इस साप्ताहिक बिक्री ऑफर के तहत गेहूं की मात्रा में बढ़ोत्तरी का सकती है ताकि बाजार भाव को कुछ नीचे लाया जा सके।

राहुल चौहान के अनुसार चूंकि गेहूं का बिजाई क्षेत्र बढ़ा है और मौसम की हालत भी फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल रहने से उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं इसलिए मिलिंग- प्रोसेसिंग उद्योग को सरकारी गेहूं की बिक्री मात्रा में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।

सरकार ने 31 मार्च 2025 तक की अवधि के लिए ओएमएसएस में बिक्री हेतु कुल 25 लाख टन गेहूं का स्टॉक आवंटित किया है। वैसे सरकार के पास भी गेहूं का सीमित स्टॉक ही उपलब्ध है जिसे देखते हुए इसके दाम में ज्यादा नरमी आना मुश्किल लगता है। नई फसल की आवक तक भाव ऊंचा रहने के आसार हैं।