नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े 2G घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। जज ने एक लाइन में अपना फैसला सुनाया। जज ओ. पी. सैनी ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में नाकाम रहा।
इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और DMK चीफ एम. करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा सांसद कनिमोझी को भी बरी कर दिया है। फैसला सुनाए जाते समय राजा और कनिमोझी पटियाला हाउस कोर्ट में मौजूद थे।
फैसला सुनते ही राजा और कनिमोझी ने हाथ जोड़कर जज का शुक्रिया अदा किया। इस दौरान राजा और कनिमोझी के समर्थकों ने नारेबाजी भी की।
कोर्ट में समर्थकों की भारी भीड़ थी। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। अब बड़ा सवाल यह है कि CAG की रिपोर्ट में जिस घोटाले की बात की गई, उसके लिए जिम्मेदार कौन है?
जज ओ. पी. सैनी ने कहा, ‘पैसों का लेनदेन साबित नहीं हो सका इसलिए मैं सभी आरोपियों को बरी कर रहा हूं।’ दिलचस्प बात यह है कि कोर्ट ने यह नहीं कहा है कि यह घोटाला नहीं हुआ है। कोर्ट ने यह जरूर कहा कि आरोपों के हिसाब से एजेंसियां सबूत पेश करने में नाकाम रहीं।
यह फैसला राजनीतिक लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है। इसी मामले ने UPA-2 के समय देश की सियासत में भूचाल ला दिया था। सीधे तौर पर कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाए गए थे। CAG की रिपोर्ट में 1 लाख 76 हजार करोड़ का घोटाला बताया गया था।
सीबीआई की चार्जशीट में 30 हजार करोड़ के नुकसान की बात रखी गई थी। अब इस मामले में आए फैसले पर कांग्रेस फायदा उठाना चाहेगी। कांग्रेस पहले से ही ‘जीरो लॉस थिअरी’ की बात करती रही है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर और मुख्य आरोपी ए. राजा को ‘बड़ा झूठा’ बताया था जबकि राजा ने सभी एजेंसियों को ‘अंधे इंसान’ कहते हुए कहा था कि वे छूकर हाथी की व्याख्या कर रहे हैं।
राजा के तमाम सनसनीखेज आरोपों पर CBI ने उन्हें बड़ा झूठा बताते हुए सबसे बड़ा आरोपी बताया था जिसने अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस बांट दिए।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने मामले में अप्रैल 2014 में 19 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था जिनमें राजा, कनिमोझी, शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी और शरद कुमार शामिल थे।