Jeera Crop: गुजरात में ऊंचा तापमान जीरे की फसल के लिए नुकसानदायक

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राजकोट। Jeera Crop: हालांकि राजस्थान के कुछ जिलों में गहन धुंध एवं घने कोहरे का प्रकोप देखा जा रहा है मगर गुजरात में सर्दी का मौसम समाप्त हो गया लगता है क्योंकि वहां अच्छी धूप निकल रही है और बारिश की कमी के साथ तापमान बढ़ने लगा है। जीरा की फसल के लिए अभी इस तरह का मौसम अनुकूल नहीं माना जा रहा है।

जीरा की अगैती बिजाई वाली फसल में फूल और दाना लगने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है और उसे ठंडे मौसम तथा एक-दो बौछार की जरूरत है। गर्मी बढ़ने पर मिटटी से नमी तेजी से सूखने की आशंका रहती है जबकि ठंडे मौसम में वाष्पीकरण धीमी गति से होता है।

ऊंझा मंडी में सीमित आपूर्ति के बावजूद जीरे का भाव स्थिर या नरम बना हुआ है क्योंकि लिवाली कम हो रही है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार चूंकि गुजरात जीरा का अग्रणी उत्पादक प्रान्त है और वहां इसके क्षेत्रफल में कमी आने से उत्पादन घटने की आशंका पहले से ही बनी हुई है इसलिए यदि प्रतिकूल मौसम से फसल को क्षति पहुंचने की संभावना बनी तो कीमतों में तेजी आने के चांस बढ़ सकते हैं। गुजरात तथा राजस्थान जीरा के दो शीर्ष उत्पादक प्रान्त हैं।

गुजरात में जीरा का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष 15 प्रतिशत कम लेकिन तीन वर्षीय औसत क्षेत्रफल से 25 प्रतिशत ज्यादा रहा है। 2023-24 का बिजाई सीजन जीरा की फसल के लिए अपवाद माना जा रहा है जब रिकॉर्ड ऊंचे बाजार भाव के कारण किसानों ने इसकी खेती करने में जबरदस्त उत्साह दिखाया था।

2024-25 के वर्तमान सीजन में उतना उत्साह नहीं रहा। इसके बावजूद जीरा का रकबा बेहतर माना जा रहा है। इसका उत्पादन गत वर्ष से कुछ घटने की संभावना तो हैं मगर फिर भी वह घरेलू एवं निर्यात मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त हो सकता है।

यदि उत्पादन में कम गिरावट आई तो कीमतों पर कोई खास सकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। जीरे की बिजाई में कुछ देर हो गई लेकिन हाइब्रिड बीज वाली फसल अपेक्षाकृत जल्दी पकने लगती है।