नई दिल्ली। NEET paper leak case: नीट, यूजीसी-नेट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने के मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के शीर्ष अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है और उन पर जल्द ही गाज गिर सकती है। शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने साफ किया कि सरकार छात्रों के हितों की संरक्षक है और उससे किसी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।
बिहार में नीट के पेपर लीक होने को अलग-थलग घटना बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई जारी है, लेकिन पूरी परीक्षा रद्द कर प्रतिभाशाली छात्रों के हितों के नुकसान करना ठीक नहीं होगा। वहीं, उन्होंने यूजीपी-नेट और सीएसआईआर-नेट की रद्द परीक्षाओं को जल्द-से-जल्द कराने का आश्वासन दिया।
शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि पेपर लीक मामले में एनटीए की मौजूदा लीडरशीप की भूमिका कई मायने में सवालों के घेरे में हैं। खासतौर पर यूजीसी-नेट की परीक्षा का पेपर डार्क नेट पर पहुंच जाना बहुत ही गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि सीबीआई जैसी पेशेवर जांच एजेंसी को इस मामले की गहराई से जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है, जिनमें एनटीए के अधिकारियों की भूमिका की जांच भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीयत और प्रतिबद्धता छात्रों के हितों के संरक्षण को लेकर स्पष्ट है और इससे किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। छात्रों को नीट परीक्षा पर भरोसा बनाए रखने की अपील करते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक पेपर लीक का मामला सिर्फ बिहार में सामने आया है और बिहार पुलिस ने इसमें बेहतरीन जांच की है।
गोधरा में एक सेंटर में हुई अनियमितता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वहां पेपर लीक की घटना नहीं थी, बल्कि सेंटर में परीक्षा के दौरान कुछ छात्रों द्वारा अनुचित तौर-तरीका अपनाने की बात सामने आई थी। गुजरात पुलिस ने इस पर कार्रवाई भी की और वहां 30 छात्रों के आगे की परीक्षा देने पर प्रतिबंध लगाने का नोटिस भी जारी किया जा चुका है।
अधिकारी ने कहा कि पूरे देश में नीट परीक्षा में अनुचित तौर-तरीके अपनाने के आरोप में इस बार 63 छात्रों को इसी तरह प्रतिबंधित किया गया है। अनुचित तौर-तरीके अपनाने के आरोप में हर साल दर्जनों छात्रों को प्रतिबंधित किया जाता है और यह एक सामान्य प्रक्रिया है। जाहिर है सरकार सिर्फ बिहार में हुई पेपर लीक को लेकर पूरी परीक्षा को रद्द करने के मूड में नहीं है।
छात्रों के हितों का नुकसान नहीं
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह पूरे साल मेहनत कर परीक्षा देने वाले छात्रों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने साफ किया कि सरकार किसी भी स्थिति में प्रतिभाशाली छात्रों के हितों का नुकसान नहीं होने देगी। वैसे भी इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।