वैश्विक बाजार में तेजी आने से कालीमिर्च के निर्यात में वृद्धि का अनुमान

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कोच्चि। वैश्विक स्तर पर कालीमिर्च के सभी प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश में इस महत्वपूर्ण मसाला का भाव ऊंचा एवं तेज हो गया है जिससे भारत से इसका निर्यात बढ़ने की उम्मीद की जा रही है मगर लेकिन कुछ खास कारणों से निर्यात में ज्यादा इजाफा होने में संदेह है।

अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारतीय निर्यातक अमरीका और यूरोपीय की बढ़ती मांग को पूरा करने में वियतनाम की प्रतिस्पर्धी का पूरी तरह सामना करने में सक्षम हो जाएंगे। वस्तुतः कालीमिर्च की घरेलू मांग एवं खपत तेजी से बढ़ती जा रही है जबकि इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल बनी हुई है। निर्यात योग्य स्टॉक सीमित रहने की संभावना है।

विदेशों में भाव तो ऊंचा है क्योंकि इस बार भारत के साथ वियतनाम में भी उत्पादन घटने की संभावना है। कालीमिर्च के घरेलू बाजार मूल्य में तेजी आने लगी है। घरेलू प्रभाग में बढ़ती कीमतों को देखते हुए उत्पादकों एवं डीलर्स ने कालीमिर्च का स्टॉक रोकना शुरू कर दिया है ताकि इसके दाम में और भी इजाफा होने पर उसे बेहतर आमदनी प्राप्त करने का अवसर मिल सके। यह एक सामान्य घटना है और बाजार के तेज होने पर अक्सर ऐसा हो जाता है। ऊंचे दमा पर उधार पर सटोरियों की लिवाली भी बाजार पर असर डाल रही है।

कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में कालीमिर्च का भाव उछलकर अनगार्बल्ड श्रेणी के लिए 685 रुपए प्रति किलो तथा गर्बल्ड किस्म के लिए 705 रुपए प्रति किलो (8975 डॉलर प्रति टन) की ऊंचाई पर पहुंच गया है।

उधर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कालीमिर्च का मूल्य वियतनाम में 8200 डॉलर प्रति टन, श्रीलंका में 7800 डॉलर, इंडोनेशिया में 8200 डॉलर तथा ब्राजील में 8000 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर पहुंच चुका है।

भारतीय कालीमिर्च एवं मसाला व्यापार संघ के निदेशक का कहना है कि अनेक कारणों से बाजार में तेजी का माहौल बना हुआ है। श्रीलंका में भारी वर्षा होने से कालीमिर्च की पैदावार एवं आपूर्ति प्रभावित हो रही है जिससे वैश्विक बाजार में मांग के अनुरूप माल नहीं पहुंच रहा है।

कालीमिर्च के कुछ लॉट की क्वालिटी सही नहीं होने से आयातकों ने कुछ खेपों को अस्वीकार कर दिया है ये आयातक अब नए माल की तलाश कर रहे हैं। इससे भारत को फायदा हो सकता है।