नई दिल्ली। दो महीने से कपास की कीमतों में गिरावट का दौर जारी है। दूसरी ओर, किसानों को ऐसा लग रहा है कि इस वर्ष कम उत्पादन के कारण कपास की कीमतों तेजी अवश्य आएगी। किसानों के इसी अनुमान की वजह से मौजूदा समय में मंडियों में कपास की आवक भी घट रही है।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के आंकड़ों के अनुसार कॉटन (कपास शंकर 6) की कीमतों में पिछले दो महीनों से लगभग 8 प्रतिशत की गिरावट आई है। कपास की कीमतें गिरकर 16,057 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। जबकि दो महीने पहले 15 मार्च 2024 को इसी कपास के लिए 17,434 रुपये प्रति क्विंटल की बोली लग रही थी। वहीं, एक साल पहले शंकर 6 किस्म के कपास का भाव 16,759 रुपये प्रति क्विंटल था।
जानकारों के अनुसार यदि कपास के भाव में गिरावट इसी तरह जारी रही तो इससे किसानों को मुश्किल हो सकती है। चाहे वे इसे स्टोर करें या बेच दें पर उनको परेशानी झेलनी पड़ सकती है। महाराष्ट्र की अधिकतर मंडियों में कपास का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा है उसके बावजूद किसान और अधिक दाम मिलने की आस में बैठे हैं। इससे मंडियों में कपास की आवक घट रही है।
कॉटन एसोसिएशन के नए अनुमान के मुताबिक अक्टूबर-मार्च के दौरान कॉटन निर्यात 137 प्रतिशत बढ़कर 18 लाख गांठ पहुंच गया था। जबकि पिछले साल की समान अवधि में निर्यात 7.59 लाख गांठ का रहा था। सीएआई के नए अनुमान के अनुसार आने वाले समय में कपास की आवक में और कमी रहने की आशंका है क्योंकि साल 2023-24 में 323.1 लाख गांठ के उत्पादन में से लगभग 280.6 लाख गांठ की आवक हो चुकी है।
वायदा बाजार में भी कॉटन के भाव में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। एसएमसी कमोडिटी रिसर्च के अनुसार फिलहाल एमसीएक्स पर कपास 56,000-57,500 प्रति कैंडी (355 किलोग्राम की एक कैंडी होती है) के भाव कारोबार करता दिख रहा है। दूसरी ओर, कॉटन (अप्रैल 2025) वायदा की कीमतें 1,530-1,580 के दायरे में कारोबार रहने की आशंका है।
महाराष्ट्र की मंडियों में कॉटन के भाव में लगातार गिरावट जारी है। हालांकि इस साल कपास के कम उत्पादन के अनुमान को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी कीमतें 2021 और 2022 की तरह 9,000 से 12,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती हैं।
कपास की कीमतों पर क्या है वैश्विक अनुमान?
एक अगस्त से शुरू होने वाले 2024-25 सीजन में ब्राजील और तुर्की के साथ अमेरिका में कॉटन की फसल अधिक होने की उम्मीद से वैश्विक कॉटन की कीमते घट रही हैं। फिच सॉल्युशन रिसर्च एजेंसी बीएमआई का कहना है कि वैश्विक कॉटन बाजार में मंदी की भावना काफी हद तक 2024-25 में उत्पादन में सुधार विशेषकर अमेरिका में अधिक उत्पादन की उम्मीद के कारण है।
वहीं, अमेरिकी कृषि विभाग यूएसडीए के अनुसार 2024-25 सीजन में अमेरिका में कॉटन का उत्पादन बढ़कर 160 लाख गांठ (204.9 गांठ 170) किलोग्राम होने का अनुमान है। अगले सीजन में वैश्विक उत्पाद 11.90 करोड़ अमेरिकी गांठ (217.72 किलोग्राम) होने का अनुमान है।
यूएसडीए को उम्मीद है कि अमेरिका, ब्राजील और तुर्की में कपास की अच्छी फसल चीन और भारत में कम फसल की भरपाई कर देगी। अमेरिका में अच्छी फसल के कारण इस साल फरवरी से कपास की कीमंते घट रही हैं। इस वजह से भारत में भी कपास की कीमतों पर असर पड़ा है। ऑल इंडिया कॉटन ब्रोकर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रामानुज दास का कहना है कि भाव 57,500 से 59,000 प्रति कैंडी की रेंज में स्थिर रह सकता है।