नई दिल्ली। रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल- सरसों में तेल की रिकवरी दर ऊंची होती है इसलिए इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने में खाद्य तेल की उपलब्धता स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।
उद्योग-व्यापार संगठनों ने 2023-24 के वर्तमान सीजन के दौरान देश में सरसों का कुल उत्पादन उछलकर 123 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है जबकि 12 लाख टन का पिछला बकाया स्टॉक भी मौजूद है। इस तरह सरसों की कुल उपलब्धता बढ़कर 135 लाख टन पर पहुंच जाएगी।
सरसों में सामान्यतः 38-40 प्रतिशत तेल का अंश मौजूद रहता है। इसके आधार पर यदि 2023-24 सीजन के दौरान 100 लाख टन सरसों की क्रशिंग-प्रोसेसिंग हुई तो 38-40 लाख टन तेल का निर्माण हो जाएगा।
इसी अनुपात में सरसों की क्रशिंग बढ़ने पर इसके तेल का उत्पादन भी बढ़ेगा। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस बार 127 लाख टन सरसों के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र का अनुमान इससे महज 4 लाख टन कम है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राजस्थान एवं गुजरात में बिजाई क्षेत्र घटने से सरसों के उत्पादन में कमी आने की आशंका व्यक्त की जा रही थी लेकिन संगठनों ने वहां औसत उपज दर ऊंची रहने के आहार पर उत्पादन अनुमान में कटौती नहीं की।
उत्तर प्रदेश में बिजाई क्षेत्र करीब 32 प्रतिशत बढ़ गया जिससे वहां सरसों का उत्पादन भी बढ़कर 18 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है।
भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश है। पिछले मार्केटिंग सीजन में यहां खाद्य तेलों का आयात तेजी से उछलकर 164.70 लाख टन के ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जिस पर 20.56 अरब डॉलर की विशाल धनराशि खर्च हुई।
इससे राजकोष पर भारी दबाव पड़ा। खाद्य तेलों का आयात घटाने में सरसों काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है इसलिए इसके उत्पादन में वृद्धि का सिलसिला जारी रहना आवश्यक है।