Student Suicide: कोचिंग संस्थानों के साथ हॉस्टल संचालक भी नहीं आ रहे बाज

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राजस्थान की कोचिंग सिटी कहे जाने वाले कोटा में कोचिंग छात्रों के संबंध में राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से समय-समय पर जारी किए जाने वाले जरूरी दिशा-निर्देश के अनुपालन में केवल कोचिंग संस्थान ही कोताही नहीं बरतते, बल्कि यहां के ज्यादातर हॉस्टल भी इनकी अवहेलना करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा।
Coaching Student Suicide Case: जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार स्तर पर कोटा के कोचिंग छात्रों को यहां उत्साहवर्धक माहौल उपलब्ध करवाते हुए उन्हें सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए जितने भी प्रयास क्यों नहीं कर दिए जाएं, कानूनी प्रावधानों-हिदायतों का उल्लंघन करने से न तो यहां की कोचिंग संस्थान बाज आते हैं और ना ही उनके सहयोगी के रूप में अपना कारोबार चला रहे हॉस्टल संचालक।

कोटा में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) का परिणाम आने के तत्काल बाद मूल रूप से छत्तीसगढ़ प्रांत के सूरजपुर से कोटा आकर कोचिंग ले रहे छात्र शुभ कुमार चौधरी (18) के आत्महत्या करने के मामले में कोचिंग संस्थान की भूमिका की तो अभी विस्तार से जांच की जानी बाकी है, लेकिन उस हॉस्टल संचालक की न केवल लापरवाही बल्कि नियमों को तोड़कर हॉस्टल का संचालन करने की बात स्पष्ट रूप से सामने आ गई है, जहां यह कोचिंग छात्र रह रहा था।

पुलिस की शुरुआती जांच में ही यह तथ्य सामने आया है कि कोचिंग छात्र शुभ कुमार चौधरी महावीर नगर क्षेत्र के जिस हॉस्टल में पिछले काफी समय से संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में प्रवेश की तैयारी कर रहा था, उसके उस कक्ष की छत के पंखे के साथ एंटी हैंगिंग डिवाइस तक नहीं लगा हुआ था।

जबकि पिछले साल कोटा में कोचिंग छात्रों के आत्महत्या करने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने विधिवत रूप से होस्टल, पेइंग गेस्ट (पीजी) संचालकों को जिला मुख्यालय पर आयोजित बैठक में लिखित रूप से यह निर्देश दिया था कि हर हॉस्टल, पेइंग गेस्ट (पीजी) में उन सभी कक्षों की छत पर पंखों के साथ एमरी गांदिनी डिवाइस लगाया जाए।

हालांकि सामान्य रूप से यह आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच उन्हें रोकने की महज एक कोशिश मात्र है, लेकिन राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन की इस कोशिश मात्र पर भी पानी फेरने से कोटा के हॉस्टल संचालक नाफरमानी करते हुए अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

क्योंकि पिछले साल इस संबंध में जारी दिशा-निर्देश के बाद भी अभी तक कोटा के कुछ हॉस्टलों में हुई आत्महत्या की घटनाओं की जांच में यह बात सामने आ चुकी है कि वहां इस तरह का कोई डिवाइस नहीं लगाया हुआ था।

यहां तक कि जिला प्रशासन ने हॉस्टल संचालकों के लापरवाही और नकारात्मक रवैए से नाराज होकर पिछले दिनों एक ऐसे हॉस्टल के ताला जड़ दिया था, जहां एक कोचिंग छात्र ने अपने कमरे में फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी और यहां भी छत पर लगे पंखे के साथ एंटी हैंगिग डिवाइस नहीं था।

जिला मजिस्ट्रेट डॉ.रविंद्र गोस्वामी ने गत दिनों तलवंडी क्षेत्र में एक हॉस्टल में एक छात्र द्वारा आत्महत्या के प्रकरण में जांच करने पर निर्धारित गाइडलाइन के अनुरूप कमरे में हैंगिंग डिवाइस का नहीं होना पाया जिसे उन्होंने अंतरिम रूप से सीज कर दिया था। हॉस्टल में निर्धारित गाइडलाइन की पालना नहीं पाए जाने पर यह कार्रवाई की गई है।

इस मामल़़े में छात्र के आत्महत्या करने के बाद मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की गई जिसमें जांच रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने धारा 133 सीआरपीसी के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए तलवंडी स्थित इस हॉस्टल को सीज किया गया था।

कोचिंग छात्र शुभ कुमार चौधरी के आत्महत्या करने के मामले की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि वह पिछले दो सालों से कोटा में रह रहा था और संयुक्त प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए एक निजी कोचिंग संस्थान में कोचिंग ले रहा था, लेकिन वह पढ़ाई में काफी कमजोर था जिसके कारण वह तनाव में भी रहता था।

पढ़ाई में कमजोर होने का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि शुभ कुमार चौधरी ने जेईई मेंस की जनवरी सेशन की जिस परीक्षा में भाग लिया था, उसका परिणाम मंगलवार को आया, जिसमें उसके 6.40 परसेंटाइल ही बने थे और इसी के बाद उसने आत्महत्या करने जैसा दुर्भाग्यशाली कदम उठाया।

यदि यह कोचिंग छात्र पढ़ने में कमजोर था और इसको लेकर हो परेशान था तो यह जांच का विषय है कि राज्य सरकार के दिशा-निर्देश अनुसार उस कोचिंग संस्थान के संचालक ने उसके मानसिक मनोबल को बढ़ाने के क्रम में किसी मनोचिकित्सक या विशेषज्ञ की मदद से कोई प्रयास किए अथवा नहीं।